धरती पर झुकी चांद-सितारों की नजर
ज्ञानपुर (भदोही) : रंग-बिरंगे दीपों की झिलमिलाहट व आतिशबाजी की फुलझड़ियों से निकली सतरंगी किरणों से ध
ज्ञानपुर (भदोही) : रंग-बिरंगे दीपों की झिलमिलाहट व आतिशबाजी की फुलझड़ियों से निकली सतरंगी किरणों से धरा पर बिखरी अनुपम, अलौकिक व अद्भुत छंटा देख आसमां भी शरमां उठा। धरा की छंटा के आगे चमक फीकी पड़ी तो चांद-सितारे भी धरती की खूबसूरती को निहारने से अपने आपको रोक नहीं पाएं। मौका था रौशनी के पर्व दीपावली का।
कलात्मक मखमली कालीनों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर जिले में प्रकाश पर्व दीपावली गुरुवार को पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। यूं तो दो दिन पूर्व धनतेरस के मौके से ही दीवाली की खुशी दिखाई पड़ने लगती है। बच्चों से लेकर बड़े तक जश्न की तैयारी में जुट जाया करते हैं लेकिन दीपावली के दिन गुरुवार को जैसे ही सूरज की किरणें धरती पर पड़ी उत्साह कई गुना बढ़ गया। सुबह से ही शुरू हुआ जश्न दिन चढ़ने के साथ परवान चढ़ता गया।
शाम होते ही नगर बाजार से लेकर गांव की गलियां तक दीपों की रोशनी से नहा उठी। दीपों, मोमबत्तियों से जैसे ही धरती सजी अंधेरे को छिपने तक की जगह नहीं मिली। इस दौरान लोगों के घर-मकान, खेत खलिहान से लेकर होटल-ढाबे व अन्य प्रतिष्ठान तक जगमग रहे। करीने से की गई सजावट के बीच चाहे वह युवा बच्चे रहें हो या फिर महिलाएं अथवा बड़े सभी पटाखे फोड़ने व आतिशबाजी में व्यस्त रहे।
बच्चों, युवाओं की धमा चौकड़ी तो देर रात तक चलती रही। जनपद के पश्चिमी सीमा ऊंज से पूर्वी छोर पर स्थित बाबूसराय तक तो उत्तरी सीमा वरुणा नदी से लगायत दक्षिणी ओर गंगा के तट तक स्थित नगर-बाजारों से लेकर गांव तक प्रकाश पर्व की अलौकिक छटा बिखर रही थी।
नतमस्तक हुई महंगाई
-उत्साह, जोश व जश्न के आगे तो पता ही नहीं लगा कि जिले का प्रमुख कालीन उद्योग मंदी की दौर से गुजर रहा है और लोग महंगाई की मार से त्रस्त हैं। हर ओर बस था तो केवल जोश, जज्बा व जुनून।