पांचवें कुंभ को सात समंदर पार तैयारी
सर्वेश कुमार मिश्र
ज्ञानपुर (भदोही): इलाहाबाद सहित भारत के चार स्थानों पर ही कुंभ का आयोजन होता है। इसमें करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। यह जानकार आपको सुखद आश्चर्य होगा कि सात समंदर पार दक्षिण अमेरिका के सूरीनाम देश भी इस तरह का आयोजन न सिर्फ शुरू हो चुका है बल्कि यह महान आयोजन इस बार अपना पांचवां साल पूरा करने जा रहा है। वर्ष 2011 में इसकी नींव रखी जा चुकी है। जनवरी से होने वाले इस आयोजन में अब तक भारत के कई जाने-माने लोग स्नान कर पुण्य अर्जित कर चुके हैं।
भारत में कुंभ लोगों की आस्था है। दुनिया के लिए यह अलौकिक नजारा होता है। वहां प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन किया था। राष्ट्रपति डी. बाउटर्स इसके लिए 50 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने की घोषणा कर किए थे। यह सब भदोही जिले के ज्ञानपुर के कारीगांव निवासी व महर्षि वैदिक विश्व विद्यालय वेस्टइंडीज के उपकुलपति संत श्री ब्रह्मदेव महराज के अथक प्रयास का प्रतिफल है। दरअसल, सूरीनाम देश में बहने वाली इसी नाम की नदी के किनारे 14 जनवरी 2011 को इस कुंभ की नींव पड़ी। 15 दिन तक चलने वाले इस कुंभ को नाम दिया गया सूर्य कुंभ। पहली बार हुए इस आयोजन का उद्घाटन वहां के प्रधानमंत्री ने किया। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल सहित भारत की तमाम जानी-मानी हस्तियां जाकर वहां स्नान कर चुकी हैं। भारत के राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक को इस आयोजन में शिरकत को आमंत्रित किया जा चुका है। यह अलग है कि वह किन्हीं कारणों से अभी तक नहीं जा सके हैं। हालांकि भारतीय दूतावास से लगाए प्रवासी मामलों के मंत्री तक यहां जाकर गोता लगा चुके हैं। वैसे इस मेले में कल्पवास की व्यवस्था भले ही अब तक नहीं हुआ है लेकिन रात को रामलीला व दिन में रामकथा रूपी सागर में गोता हर कोई लगाता है। स्नान-ध्यान को तो हजारों का रेला लगा रहता है। हर साल इस संख्या में तेजी के साथ इजाफा भी हो रहा है। प्रवासी भारतीय भी इससे बेहद उत्साहित हैं। बेन्यूवाला, गुयाना, हालैंड, त्रिनिनाड, अमेरिका से बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय यहां स्नान-दान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। कल्पवास हो इसके लिए भी काम हो रहा है।
दक्षिण अमेरिका के सूरीनाम देश में प्रवासी भारतीयों की संख्या करीब 30 फीसद है। इनमें उत्तर प्रदेश व बिहार के लोगों की संख्या अधिक है। खास बात यह कि यहां हिंदी के साथ ही भोजपुरी बोलने व समझने वालों की तादात भी अच्छी भली है। यही वजह है कि यहां के लोग इसे लेकर उत्साहित रहते हैं। ऐसे में पांचवें कुंभ के आयोजन को लेकर अभी से विशेष तैयारी चल रही है। कई जाने-माने संत-महंत ने इसमें सहभागिता को हामी भी भरे हैं। कई कलाकार भी भारत से जा सकते हैं।
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श्रीराम से हुआ सूरीनाम
कभी सूरीनाम को श्रीराम के नाम से जाना जाता रहा। भारतीय संस्कृति की यहां तक पहुंची जड़ को लेकर और गहराई तक जानने की चाहत से कई बार इस देश की यात्रा करनी पड़ी। इस दरम्यान नदी के किनारे गंगा सागर मंदिर व गंगा मंदिर ने बेहद आकर्षित किया। लगा कि यह भी भारत से किसी न किसी रूप में जुड़ा है। यहां इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय न सिर्फ रहते हैं बल्कि हिंदी और भोजपुरी में बातचीत करते हैं। यह अद्भुत है।
- संत श्री ब्रह्मदेव जी महराज।