बंगले पर बड़े साहब, दफ्तर में लटक रहा ताला
ज्ञानपुर (भदोही) : समय 10.45 बजे। दिन बुधवार। स्थान लोक निर्माण विभाग। बड़े साहब के दफ्तर के सामने बैठे दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी। साहब को पूछने पर जवाब मिलता है कि बंगले पर हैं। सहायक अभियंता, अवर अभियंताओं के दफ्तर में भी लटक रहा था ताला। वरिष्ठ लेखाधिकारी, शिविर आदि कक्ष भी थे बंद। दौड़ते हुए एक कर्मचारी ने एक बंद पड़े दफ्तर को खोल दिया। उसका कहना था कि बड़े बाबू आए थे अभी कहीं गए हैं। कैश रूम भी बंद रहा। बाहर ही दो लोग कुर्सी पर बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे। कुछ यही नजारा आंखों में कैद किया जागरण टीम व उसके कैमरे ने।
शासन का फरमान हो या फिर कलेक्टर का आदेश। ना भईया यहां तो अपना राज है। अपनी सुविधा के अनुसार चलता है दफ्तर। यह हाल है लोक निर्माण विभाग का। बंगले से ही दफ्तर का संचालन किया जाता है। यही नहीं यहां पर न तो सहायक अभियंता हैं और न अवर अभियंता। जब बड़े साहब ही नहीं तो लिपिकों का ही मौजा ही मौजा है।
बाहर बैठे दरवान रट्टू तोता की तरह सवाल का जवाब देता है कि बड़े साहब बंगले पर हैं। कोई दिग्गज ठेकेदार आदि है तो वह भी बंगले पर मिल लेता है लेकिन जब कोई सामान्य नागरिक होता है तो उसे गेट से ही कह दिया जाता है कि साहब दफ्तर में ही मिलते हैं। दफ्तर के बाहर लिखे शासन का फरमान मिलने का समय 10 से 12 बजे की साहब की खाली कुर्सी चुगली कर रही है।
जूझ रहे उपभोक्ता, मौज कर रहे इंजीनियर साहब
समय 10.57 बजे। दिन बुधवार। स्थान पुरानी कलेक्ट्रेट स्थित विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता का कार्यालय। अधिशासी अभियंता की कुर्सी खाली रही। दो-तीन टेबल पर लिपिक पहुंच गए थे। दफ्तर में झाड़ू आदि लगाया जा रहा था तो कुछ लिपिक अपने काम करने की तैयारी में जुटे रहे। बिल विभाग पूरी तरह खाली रहा। बिल रजिस्टर तितर-बितर पड़े थे। पास में ही स्थित उपखंड अधिकारी का दफ्तर तो खुला था लेकिन उनकी कुर्सी खाली रही।
अवर अभियंता ज्ञानपुर भी नहीं दिखे। पूछने पर बताया गया कि बड़े साहब आज कुछ देर कर दिए हैं। यह हाल विद्युत विभाग का है। जिला ही नहीं पूरा प्रदेश इन दिनों बिजली की कटौती से जूझ रहा है। चहूंओर बिजली को लेकर हायतौबा मचा हुआ है। उपभोक्ता लूटे जा रहे हैं। मनमानी कटौती व्यापार, उद्योग-धंधा आदि चौपट हो जा रहा है। इसके बाद भी विभाग के अफसरों की मनमानी इस कदर है कि परेशान उपभोक्ताओं से मिलना भी मुनासिब नहीं समझ रहे हैं।
शासन के फरमान व जिलाधिकारी के आदेश पर भी कार्यालय में 10 से 12 बजे नहीं बैठ रहे हैं। आखिर उपभोक्ता अपनी पीड़ा किससे कहने जाए। क्या इसके लिए विभाग जिम्मेदार नहीं है। इसका जवाब भी विभाग के पास नहीं है।
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शुगर बढ़ जाने से पूरी रात नींद नहीं आई थी। तबियत खराब होने के कारण कार्यलय में नहीं पहुंच पाया था।
-रामकिशोर, अधिशासी अभियंता विद्युत।