दम न तोड़ दे बेसिक शिक्षा विभाग का अभियान
ज्ञानपुर (भदोही) : बगैर मान्यता के चल रहे नर्सरी व कांवेंट विद्यालयों पर अंकुश को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग की कवायद कहीं दम न तोड़ दे। मान्यता संबंधी अभिलेख दिखाने अथवा विद्यालय बंद करने संबंधी परवाना (नोटिस) भेज मौन साध गए महकमे के इस रवैए ने यह सवाल खड़ा कर दिया है।
बिन मान्यता धड़ल्ले के साथ चल रहे विद्यालयों पर अंकुश लगाने में कितनी सफलता मिलेगी यह तो वक्त बताएगा किंतु महकमे की चुप्पी ने तरह-तरह की चर्चाओं को जन्म जरूर दे दिया है। दरअसल, देखा जाय तो शिक्षा व्यवसाय का रूप धारण कर चुका है। स्थिति यह है कि हर चंट्टी चौराहे पर विद्यालय खुलते जा रहे हैं। आलम यह है कि लगभग प्रत्येक वर्ष शिक्षण सत्र की शुरुआत के साथ बेहतर शिक्षा देने के दावे के साथ जगह-जगह तमाम नर्सरी व कांवेंट विद्यालय संचालित हो उठते हैं।
देखा जाय तो मौजूदा समय में सैकड़ों विद्यालय बगैर मान्यता के ही संचालित हो रहे हैं। भदोही, गोपीगंज, औराई, घोसिया, सुरियावां आदि नगरों सहित ऊंज, कोइरौना, रोही ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित कई ऐसे विद्यालय के पास भी मान्यता न होने की बात कही जा रही है जिनकी गिनती आज नामचीन विद्यालयों में होती है। बहरहाल पिछले दिनों बगैर मान्यता संचालित हो रहे विद्यालयों के प्रति गंभीर हुए महकमे ने ऐसे विद्यालयों को नोटिस भेजनी कर चेतावनी देनी शुरू कर दी है कि या तो वह मान्यता संबंधी अभिलेख दिखाएं अन्यथा विद्यालय का संचालन बंद कर दें। शिक्षा विभाग की ओर से पहुंच रहे इस नोटिस से विद्यालय संचालकों में हड़कंप मच चुका था किंतु नोटिस भेजने के बाद महकमे की ओर से पूरी तरह चुप्पी साध ली गई।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक अधिकांश विद्यालयों को प्राप्त कराए गए नोटिस में अभिलेख उपलब्ध कराने के लिए निर्धारित की गई समय सीमा समाप्त हो चुकी है किंतु न तो विद्यालयों की ओर से मान्यता संबंधी अभिलेख उपलब्ध कराए गए न ही विभागीय स्तर से कोई जांच या कार्रंवाई शुरू की गई। परवाना भेज इस तरह साधी गई चुप्पी ने तरह-तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं।
पहुंच व पकड़ के आगे तो बेबस नहीं महकमा
भले ही विद्यालय बगैर मान्यता के संचालित हो रहे हों लेकिन कहीं विद्यालय संचालकों की पहुंच व ऊंची पकड़ के आगे तो महकमा बेबस नहीं हो रहा है। सूत्रों की माने तो बगैर मान्यता संचालित हो रहे तमाम ऐसे नामचीन विद्यालय हैं जिनकी पकड़ ऊपर तक होने की बात कही जा रही है। इस स्थिति में विद्यालयों के खिलाफ कार्रंवाई नहीं हो पा रही है।