आंगनबाड़ी की पंजीरी अब पशु आहार
बस्ती: जहां एक तरफ सरकार द्वारा बाल विकास परियोजना के जरिए बच्चों को स्वस्थ रखने का अभियान चलाया जा
बस्ती: जहां एक तरफ सरकार द्वारा बाल विकास परियोजना के जरिए बच्चों को स्वस्थ रखने का अभियान चलाया जा रहा है वहीं आगनबाड़ी की पंजीरी पशु आहार बन गई है। नियमानुसार नौनिहालों व गर्भवतीधात्री महिलाओं को कुपोषण से मुक्त करने करने के लिए पंजीरी दी जाती है। महिला कर्मचारी चंद रुपये के लिए पशुपालकों को यह पंजीरी बेच दे रही हैं। पशुपालक अपने पशुओं के लिए यह पंजीरी ले जाते हैं। विक्रमजोत ब्लाक के नाल्हीपुर, बीरपुर, सरसंडा,केनौना, मलहनी, जैतापुर, चन्दहा सहित दो दर्जन से अधिक गांवों में स्थापित आंगनबाड़ी केंद्रों में से अधिकांश की व्यवस्था लचर है। कई केंद्रों में बच्चों के पंजीकरण के मुकाबले उपस्थिति शून्य रहती है। रजिस्टरों में छात्र संख्या उपस्थिति दर्ज कर पुष्टाहार कागजों में वितरित किया रहा है। स्थानीय निवासी राम दरश, कुशलावती, सुमन , राजेश्वर, बाबूदीन, धनपता,आनंद कुमार, केशरी प्रसाद, सुधीर, पंकज, ढुनमुन, र¨वद्र नाथ की मानें तो आंगनबाड़ी द्वारा पंजीरी वितरण बंद हो जाने की सूचना देकर उन्हें केंद्र से लौटा दिया गया। दो लोगों ने कहा कि हमें सब पता है आंगनबाड़ी कर्मचारियों को पंजीरी बांटने के लिए दिया जाता है। शाम होने के बाद दो सौ से ढाई सौ रुपये प्रति बोरी की दर से उसे बेच देती हैं।