समितियों से खाद लीजिए, बीज का इंतजाम नहीं
बस्ती : कुदरहा विकास क्षेत्र के साधन सहकारी समितियों पर इस वर्ष गेहूं का बीज नहीं आया। यूरिया और डीए
बस्ती : कुदरहा विकास क्षेत्र के साधन सहकारी समितियों पर इस वर्ष गेहूं का बीज नहीं आया। यूरिया और डीएपी उपलब्ध है। किसान समझ नहीं पा रहे हैं कि प्रमाणिक बीज कहां से खरीदें। बाजार में मिलने वाला बीज भरोसेमंद नहीं है। इन दिनों किसान की सबसे बड़ी समस्या रुपये को लेकर है। क्षेत्र के अधिकांश बैंकों ने रुपये देने से हाथ खड़े कर लिए हैं। किसानों का कहना है कि इस बार रबी की फसल फिर चौपट हो जाएगी। लगातार तीन सीजन से रबी की फसल तबाह हो रही है। धान की उपज का हाल यह है कि आढ़तिए तौल तो करा ले रहे हैं पर भुगतान के लिए 15 दिन का समय ले रहे हैं। किसान खुद को बेबस पा रहे है। डेल्हवा गांव के किसान रमेश चौधरी ने कहा कि पहले समितियों से ही किसानों को रबी की बोआई के लिए डीएपी, यूरिया और गेहूं का बीज भी मिल जाता था, समिति के सदस्य आसानी से अपनी जरूरत पूरी कर लेते थे, इस बार बीज न आने से समस्या बढ़ गई है। राजपुर गांव के विष्णु दत्त शुक्ल ने कहा कि पहले हम लोगों की खेती समिति के भरोसे होती थी इस बार इस पर भी संकट आ गया है। नोटबंदी ने समस्या और बढ़ा दी है।
--------
समितियों से बीज नदारद, किसान परेशान
भानपुर: न्याय पंचायत स्तर पर स्थापित साधन सहकारी समितियों पर इस साल कहीं भी गेहूं, सरसों, चना, मटर, लाही आदि के बीज नहीं मिल रहे हैं। इसके पूर्व खरीफ की फसलों में बोई जाने वाली प्रजातियों के बीज की आपूर्ति नहीं की गई थी। यूरिया व डीएपी उर्वरकों की उपलब्धता भरपूर है। गेहूं की उन्नतशील प्रजाति के बीज के लिए इस साल किसानों को निजी दुकानों पर निर्भर होना पड़ रहा है। किसान विनोद कुमार यादव, दूधनाथ, बहरैची, दिनेश कुमार दुबे, अयोध्या नाथ पांडेय, राम अजोर चौधरी, राम तौल यादव, जगराम चौधरी, विजय पाल चौधरी, राम सजीवन चौधरी, इब्राहिम, जोखू प्रसाद, हृदयराम चौधरी, बाबूराम यादव, रामपाल यादव, जयराम ¨सह, राजेंद्र प्रसाद मौर्य, तुलसीराम मौर्य, राम बहोर चौहान का कहना है कि हम इन समितियों के सदस्य हैं। पहले यहां उर्वरक व बीज मिल जाया करते थे। आज समितियों की हालत बहुत ही खराब हो चुकी है। जिसके चलते खेती पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।