आंदोलन सेबिगड़ी बिजली व्यवस्था
बस्ती : विद्युत संविदा मजदूर संगठन के बैनर तले बिजली विभाग के संविदा कर्मियों का आंदोलन शनिवार को भी
बस्ती : विद्युत संविदा मजदूर संगठन के बैनर तले बिजली विभाग के संविदा कर्मियों का आंदोलन शनिवार को भी जारी रहा। इस दौरान आंदोलनकारियों से वार्ता के लिए मुख्य अभियंता इं.सीपी गुप्त ने बुलाया, मगर वार्ता विफल रही। आंदोलित कर्मियों ने मांगे पूरी होने तक धरना जारी रखने की घोषणा की है। इधर संविदा कर्मियों के आंदोलन के चलते विद्युत व्यवस्था लड़खड़ा गई है।
संगठन के जोनल अध्यक्ष राम ललित चौधरी ने कहा कि संविदा कर्मियों के जिम्मे विद्युत संचलन की पूरी व्यवस्था है, मगर उनके हितों को अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने कहा संविदा की निविदा उसी संस्था को दी जाए तो सभी शर्तें पूरी करे, हर्रैया तहसील, देहात, बभनान, गौर आदि सभी उपकेंद्रों की निविदा योग्य एजेंसी को दी जाए, शहर में कार्यरत सभी 82 कर्मियों की संविदा एक साथ जारी की जाए। बताया पिछले नौ माह से संविदा कर्मियों का वेतन अधर में है। ऐसे में यह लिखित दिया जाए कि कितने कार्य दिवस का वेतन भुगतान होगा। इसके अलावा विद्युत स्पर्शाघात से घायल कर्मियों के उचित इलाज की व्यवस्था व दोषियों को दंड दिया जाए।
धरना में शैलेष पांडेय, वीरेंद्र कुमार मिश्र, मोहम्मद असलम, जगदंबा उपाध्याय, प्रेम चंद्र, बाबूराम शर्मा, रमेश यादव, विजय शुक्ल, दिनेश दूबे, परमात्मा, राजेश कुमार, राम मूरत, विनोद वर्मा, राम बहादुर, परशुराम, राकेश यादव, देवेंद्र सहाय, शैलेष यादव, सूर्य प्रकाश, ¨प्रस पांडेय, अनूप यादव, अरुण पांडेय सहित दर्जनों संविदा कर्मी मौजूद रहे।
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दिन भर छकाती रही बिजली, जिम्मेदार परेशान
शहरी क्षेत्र के वीआइपी क्षेत्र सिविल लाइंस में शनिवार को बिजली सुबह से लेकर देर रात तक छकाती रही। कभी कहीं तो कभी कहीं का तार व उपकरण झटका देते रहे। इसके चलते अधिकारी परेशान रहे। सुबह अमहट उपकेंद्र का ब्रेकर खराब हुआ तो इसे दोपहर बाद ठीक किया जा सका। तभी पता चला कि पुरानी बस्ती में हाईटेंशन तार व लो टेंशन तार टूट गया है। पूरी टीम वहां पहुंची और शाम पांच बजे जैसे ही उसे दुरुस्त कर राहत की सांस ली तब तक सिविल लाइंस के खौरहवा में एलटी लाइन टूट गई। इसे ठीक करने में विभाग के इंजीनियरों को पसीना छूट गया।
उपखंड अधिकारी रीतेश कौशल ने कहा कि संविदा कर्मियों की हड़ताल के चलते स्थिति असामान्य हो गई है। स्थायी कर्मियों की संख्या कम है, मगर दिन भर व्यवस्था को पटरी पर लाने में दौड़ते रहे। देर शाम व्यवस्था पटरी पर आ सकी है।