जीवन का निहतार्थ है रामकथा : रामभद्राचार्य
बस्ती: प्रभु श्रीराम की कथा में जीवन के वह सारे रस निहीत हैं जो व्यक्ति के जीवन को ऊंचाई पर ले जाने
बस्ती: प्रभु श्रीराम की कथा में जीवन के वह सारे रस निहीत हैं जो व्यक्ति के जीवन को ऊंचाई पर ले जाने में सक्षम हैं। मानस में तुलसीदास जी ने जिन मूल्यों और मानदंडों को स्थापित किया है वह न तो उसके पहले कभी हुआ और न कभी उसके पश्चात। रामकथा में आध्यात्म भी है और जीवन का दर्शन भी। राजनीति भी है और धर्मपरायणता भी। एक पिता का आदेश पुत्र के लिए किस प्रकार जीवन परिवर्तन का कारक बन जाता है यह प्रभु श्रीराम के जीवन से पता चलता है। प्रभु श्रीराम के जन्म के निमित्त रही गुरु वशिष्ठ की यह धरती वाशिष्ठी अर्थात बस्ती में आकर अपने को धन्य मानता हूं। यह बात रामचरित मानस के मर्मज्ञ, प्रकांड विद्वान जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कही। वे यहां राजकीय इंटर कालेज में आयोजित रामकथा ज्ञान यज्ञ के व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को कथा का रसपान करा रहे थे। उन्होंने कहा कि यह धरती चूंकि गुरु वशिष्ठ की है इसलिए यहां गुरु वशिष्ठ का मंदिर होना चाहिए स्वामी जी ने गुरु वशिष्ठ के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि रघुकुल के गुरु होने के नाते राजा दशरथ उनके समस्त आदेशों का पालन करते थे। गुरु वशिष्ठ के ही मार्ग दर्शन में प्रभु श्रीराम ने जीवन के जिन नैतिक मूल्यों को सीखा उसी का अनुसरण जीवन भर करते रहे। प्रभु श्रीराम के नाम की महिमा का बखान करते हुए स्वामी जी ने कहा कि राम नाम अपने आप में महामंत्र है। गोस्वामी जी ने राम का नाम लिया और मानस जैसे अछ्वुत ग्रंथ की रचना की।
इससे पूर्व दिन में श्रीराम चरित मानस का सस्वर नवाह्न परायण का पाठ किया गया। आचार्य रघुनाथ दास त्रिपाठी के नेतृत्व में हुए आयोजन में विद्वानों ने विधि विधान से पाठ किया। बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर पुण्य लाभ अर्जित किया। शाम को कथा प्रारंभ होने पर पहुंचे स्वामी जी का आयोजक और श्रद्धालुओं ने श्रद्धा के साथ स्वागत किया। व्यास पीठ पर बैठने के बाद सर्वप्रथम स्वामी जी ने कहा कि वह गुरु वशिष्ठ की धरती पर आ कर स्वयं को आह्लादित महसूस कर रहा हूं। इस मौके पर आयोजन समिति के लोगों ने व्यवस्था मुस्तैदी से संभाल रखी थी। आयोजक संतोष तुलस्यान, राणा दिनेश प्रताप ¨सह सहित अन्य लोग मौजूद रहे।