Move to Jagran APP

सैकड़ों पेड़ों के पिता रमांकात

बस्ती: हौसला हो तो दुनिया का कोई भी काम मुश्किल नहीं है। काम के प्रति लगन और जुनून रखने वाले लोग बि

By Edited By: Published: Sat, 06 Feb 2016 10:24 PM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2016 10:24 PM (IST)
सैकड़ों पेड़ों के पिता रमांकात

बस्ती: हौसला हो तो दुनिया का कोई भी काम मुश्किल नहीं है। काम के प्रति लगन और जुनून रखने वाले लोग बिना यह सोचे अपने काम में व्यस्त रहते हैं कि कोई उनके साथ है अथवा अकेले हैं। ऐसे ही जुनूनी हैं सल्टौआ ब्लाक के चेतरा गांव निवासी रमाकांत मिश्र। उम्र 63 वर्ष जुनून पौधे लगाने का। रमाकांत आज सैकड़ों वृक्षों के पिता है। संतान न होने की पीड़ा के संबंध में कुरेदे जाने पर सहज मुस्कान के साथ अपनी बगिया की ओर इशारा करते हैं और कहते है कि यही हैं मेरे बच्चे। क्या किसी के पास इतनी संतानें हैं। इस समय यहां एक हजार से ज्यादा पेड़ और पौधे हैं।

loksabha election banner

स्नातक करने के बाद उनकी शादी हुई और उसके बाद उन्होंने देवरिया चीनी मिल में छह सौ रुपये माह पर सीजनल सुपरवाइजर की नौकरी शुरू कर दी। शादी के काफी दिनों तक इनकी कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने जहां तहां पौध रोपण करना शुरू कर दिया। चीनी मिल के कामों से फुर्सत मिलते ही वह गांव आ जाया करते थे और घर से कुछ दूरी पर स्थित कुआनो नदी के किनारे भगवत भजन और पौधरोपण में समय व्यतीत करने लगे। जब पौधे बड़े होने लगे तो और लोग भी साथ आने लगे। धीरे-धीरे पर्यावरण और आध्यात्मिक चर्चा का ऐसा माहौल बना कि पौध रोपण के लिए एक तरह से अभियान ही चलने लगा। 1998 में चीनी मिल बंद हो गई। मिल बंद हुई तो नौकरी भी चली गई। इसके बाद पूरी तरह से वह पर्यावरण और आध्यात्म को समर्पित हो गये। उनकी पहल पर घाट पर शिव मंदिर का जीर्णोद्धार जनसहयोग से हो गया। उसके बाद बड़े पैमाने पर पौधे लगाने का काम शुरू किया। 2012 में पत्नी का स्वर्गवास हो गया तो मंदिर और पर्यावरण की सेवा को जीवन समर्पित कर दिया। मंदिर परिसर का नजारा इतना मनोरम और सुकून देने वाला है कि आसपास के लोग अब अक्सर यहां आकर वक्त गुजारते हैं।

------------------

इन पेड़-पौधों से गुलजार है बगिया

क्षेत्र में संत जी के नाम से विख्यात रमाकांत की बगिया मौलश्री, श्रीफल, खैर, वासुदेव, नीम, आम, इमली, अमरूद, सहतूत, लीची, महुआ, कुमकुम, गुलाब, नागफनी, बेल, अमरूद, इमली, चांदनी, अषोक, षमी, पीपल, सतावर, केला, कनक, धतूरा, गेंदा, गुलमोहर, रातरानी, सूर्यमुखी, बदगद, गूलर, पाकड़, आंवला, चमेली जैसे पेड़-पौधों से गुलजार है।

-------------------

पेड़ों के फायदे भी बताते हैं रमाकांत

इन पेड़ों से होने वाले लाभ और पर्यावरण सरंक्षण में इनकी भूमिका के बारे में भी रमाकांत बहुत ही सरल भाव से आगंतुकों को समझाते हैं। अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

---------------------

युवा ही बदलेंगे तस्वीर

विश्वव्यापी पर्यावरण संकट से उबरने के लिए रमाकांत कहते हैं युवा इसके लिए सबसे सशक्त हथियार हैं। इसके लिए आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक स्तर पर अभियान चलाने की जरूरत है। रमाकांत कहते हैं पेड़ पौधों के बीच समय गुजारने का लाभ यह हुआ की पेड़ों के प्रति मन में स्नेह उत्पन्न हो गया।

---


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.