नए प्रधान के इंतजार में सफाई ताक पर
बस्ती: एक ओर गांव जहां चुनावी बुखार से तब रहे हैं वहीं सफाई कर्मचारियों की मौज आ गई है। जिन गांवों म
बस्ती: एक ओर गांव जहां चुनावी बुखार से तब रहे हैं वहीं सफाई कर्मचारियों की मौज आ गई है। जिन गांवों में पुराने प्रधान प्रत्याशी नहीं हैं वहां तो और भी आराम हो गया है। इन्हें न तो कोई पूछने वाला है और न टोकने वाला। तकरीबन एक माह से गांवों की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से लचर हो गई है। आरक्षण में जिन सीटों पर नए प्रधान का चुना जाना तय हो गया है वहां नालियां बजबजा रही हैं, सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ा का अंबार लगा हुआ है। सफाई कर्मचारी भी गांव की जनता की नब्ज टटोलते हुए नए प्रधान का इंतजार कर रहे हैं। गंदगी की स्थिति यह है कि गांवों में महामारी फैलने की आशंका बढ़ गई है। सफाई कर्मचारियों को प्रतिमाह आठ हजार रूपए वेतन भी मिलता है। अधिकांश सफाईकर्मी जुगाड़ू व्यवस्था के तहत ब्लाक मुख्यालय से अटैच हो गए हैं। एडीओ पंचायत की दरबारी करने लगे। रही-सही कसर उन प्रधानों ने पूरी कर दी जो सफाईकर्मियों की उपस्थिति के दस्तखत के एवज में मानदेय का कुछ हिस्सा वसूल लेते हैं। आलम यह है कि गांवों में चारों तरफ गंदगी पसरी है और लोगों की शिकायतें भी नही सुनी जा रही हैं। विक्रमजोत के सोहगिया, गोपालपुर, देवकली, तुर्शी, हिलसी, खेमराजपुर, सौरी, शंभूपुर, लकड़ी दूबे, अर्जुनपुर, छतौना, नई दुनिया, उदयपुर, संदलपुर, शंकरपुर, कुंआ गांव, कोतवालपुर, खानकला, छावनी व सांसद आदर्श ग्राम अमोढ़ा में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल हो गया है। देवकली गांव के प्राथमिक विद्यालय व मंदिर पर फैली गंदगी सफाई कर्मचारियों की उदासीनता की परिचायक है।
क्षेत्रीय नागरिक बजरंग ¨सह, रामबहादुर ¨सह, राजमणि ¨सह, गणेश ¨सह, रक्षाराम, संतोष ¨सह, रामसूरत, रामबली, इमरात, ताहिर, मुनव्वर सफाई कर्मचारियों पर नकेल कसने की मांग की है।