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लालगंज में अबतक 23 ¨जदगी पी गई कच्ची

बस्ती: कच्ची शराब का जहर जनपद के सिर्फ हर्रैया, कप्तानगंज, दुबौलिया परशुरामपुर क्षेत्र में ही नहीं फ

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 09:47 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 09:47 PM (IST)
लालगंज में अबतक 23 ¨जदगी पी गई कच्ची

बस्ती: कच्ची शराब का जहर जनपद के सिर्फ हर्रैया, कप्तानगंज, दुबौलिया परशुरामपुर क्षेत्र में ही नहीं फैला है, मनवर कुआनो के संगम पर बसे लालगंज क्षेत्र में भी यह व्यापक रूप ले चुका है। इस थाना क्षेत्र में पांच वर्ष में जहां 23 लोगों की मौत हो चुकी है वहीं बड़ी संख्या में लोग बीमार हैं। सवाल यह उठता है कि जब पुलिस कार्रवाई होती है, अवैध शराब पर अंकुश लगाने के लिए अलग से एक महकमा है तो फिर इतनी संख्या में लोगों की मौत कैसे हो गई। यह अलग बात है कि पुलिस और आबकारी विभाग के आंकड़े में कच्ची शराब के सेवन से कोई मौत दर्ज नहीं है लेकिन जानकार बताते हैं कि इन मौतों को छिपाने का मूल कारण पीने और पिलाने वाले दोनो इसे अवैध मानते हैं और कार्रवाई के डर से मामला आगे नहीं बढ़ पाता है। लेकिन सच यही है कि कच्ची शराब का धंधा जिस तेजी से फल फूल रहा है उससे वह दिन दूर नहीं जब मजदूर वर्ग का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।

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लालगंज थाने में कच्ची शराब का धंधा वर्षो से फलफूल रहा है। ईंट भट्ठों पर चलने वाला यह धंधा कुटीरउद्योग का रूप ले लिया है। चूँकि यह क्षेत्र अम्बेडकर नगर से लगायत संतकबीर नगर व आजमगढ से जुड़ा हुआ है साथ ही घाघरा एवं कुआनो नदियों का दियारा इस धंधे को फलने फूलने में मददगार साबित हो रहा है। जानकारों के मुताबिक पंचायत चुनाव में कई जनपदों में कच्ची शराब सप्लाई का ठेका इस क्षेत्र के धंधे बाजों ने लिया है। कच्ची के धंधे मे अधिकतर झारखंड राज्य के गुमला, कोरबा, झरिया, गिरिडीह, करनपुर , पालामऊ , ¨सह भूमि, संथाल परगना, कोडरमा, जादुगोडा , बोकारो, डाल्टनगंज, रांची के मजदूर हैं। यह मजदूर मात्र चालीस रूपये हजार पर ईंट निकासी के लिए आते हैं जबकि स्थानीय मजदूर 200 रूपए हजार लेते हैं, बदले में भट्ठा मालिको को इन मजदूरों को पुलिस से बचाना होता है। इस धंधे में पुलिसिया मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। देईसॉड, नकहा , शिवपुर, देवमी, शोभनपार बसौढी सहित एक दर्जन ईंट भट्ठों पर यह धंधा फल फूल रहा है। कच्ची शराब बनाने में सड़ा गुड़, यूरिया, नौसादर, स्प्रिट, महुआ, गोबर, खतरनाक रसायन प्रयोग होता है । कच्चे माल की सप्लाई करने वाले भी मालामाल हो रहे हैं । लोग बताते हैं कि पूर्व पुलिस अधीक्षक अमित वर्मा के कार्यकाल मे यह धंधा एक सप्ताह के लिए बंद हुआ था ।

पांच वर्ष में इनकी हुई मौत

कच्ची शराब पीने से प्रेमचंद, अली हुसैन, हरिकेश निवासी सजनाखोर, विजई अनुपाखोर, संतराम, बाली, शिवचरन, सुरेश बांसापार, ढेलई कुढवा, भोला, घिराऊ, नंदलाल बानपुर, अनिल कुमार पगार, पंचराम बरन्डा, ओमप्रकाश धुसनाखोर , लखन, देवेन्द्र कैथौरा, राजेश, ललतू बघाडी, राम सागर, सीताराम देवमी की जहां पांच वर्ष के भीतर मौत हो चुकी है वहीं बीते वर्ष चित्राखोर निवासी झिन्नी एवं हलुआ पार निवासी शिवशंकर की कच्ची शराब को लेकर हत्या हो चुकी है।

जहरीली शराब के चलते गोरखपुर में हुई मौत और बस्ती जनपद में छापेमारी के दौरान बरामद किए गए कच्ची के बड़े जखीरे को देखते हुए परिक्षेत्र के तीनों पुलिस अधीक्षक, क्षेत्राधिकारी व थानाध्यक्षों को निर्देश भेजा गया है कि वह अपने क्षेत्र में यह सुनिश्चित कराएं कि क्षेत्र में यह कारोबार नहीं हो रहा है। ऐसा न करने पर समझा जाएगा कि संबंधित की रुचि इस सामाजिक बुराई को दूर करने में नहीं है। ऐसे में उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

लक्ष्मी नरायन, पुलिस उप महानिरीक्षक

आबकारी टीम का छापा, 160 लीटर कच्ची बरामद

बस्ती : कच्ची पर शासन के कड़े तेवर से आबकारी विभाग की नींद टूट गई है। गुरुवार को आबकारी की प्रवर्तन टीम ने छावनी व परशुरामपुर के कच्ची के लिए बदनाम दो गांवों में ताबड़तोड़ छापामारी की। यहां टीम ने आठ लोगों के पास से 160 लीटर कच्ची बरामद की। इसके अलावा टीम ने मौके पर 75 ¨क्वटल लहन व आधा दर्जन भट्ठियां नष्ट कीं।

जिलाधिकारी एके दमेले के निर्देश पर आबकारी निरीक्षक ज्ञानेंद्र पांडेय व विद्या सागर मय दलबल सबसे पहले छावनी थाना क्षेत्र के दुभरा गांव में पहुंचे। यहां टीम ने शीतला व मालती के पास से बीस लीटर कच्ची बरामद की। इसके बाद टीम परशुरामपुर के बरहपुर पांडेय गांव पहुंची। यहां समुंदरा, बिल्ला, मोती, राजकुमार, परदेशी व अंतराम के पास से टीम ने 140 लीटर कच्ची व छिपा कर रखा गया 75 ¨क्वटल लहन के अलावा आधा दर्जन भट्ठियां नष्ट किया।


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