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धान खरीद को हैं तैयार, सरकारी बकाया में हाथ मल रहे जिम्मेदार

बस्ती : धान खरीद को लेकर शासन से लगायत खाद्य एवं रसद विभाग खूब माथा पच्ची कर रहा है। सारी तैयारियां

By Edited By: Published: Sun, 30 Aug 2015 08:55 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2015 08:55 PM (IST)
धान खरीद को हैं तैयार, सरकारी बकाया में हाथ मल रहे जिम्मेदार

बस्ती : धान खरीद को लेकर शासन से लगायत खाद्य एवं रसद विभाग खूब माथा पच्ची कर रहा है। सारी तैयारियां चल रही हैं, मगर पुराने सरकारी चावल की वसूली को लेकर जिम्मेदार जिला विपणन अधिकारी हाथ मलते नजर आ रहे हैं। कारण यह कि वसूली की गति इतनी धीमी है कि इसका पूरा प्रभाव आगामी धान खरीद पर पड़ने के आसार नजर आ रहे हैं। वह इस नाते कि यदि राइस मिलों ने बकाया नहीं दिया तो धान कूटने से वे वंचित रहेंगे और जब मिलें नहीं उतरेंगी तो फिर धान खरीद के बाद उसे कौन कूटेगा।

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एक अक्टूबर से धान खरीद की तिथि शासन ने तय कर दी है। फरवरी माह तक होने वाले इस खरीद के लिए यूं तो जिले स्तर पर नोडल अधिकारी तय हो गए हैं, मगर लक्ष्य व केंद्रों के निर्धारण को लेकर रस्साकसी जारी है। क्योंकि इस बार प्रमुख सचिव ने रिकार्ड तोड़ धान खरीदने का फरमान जारी कर दिया है। यानी लक्ष्य भी इस बार पिछले वर्षों की तुलना में अधिक होगा। धान खरीद को लेकर खाद्य एवं रसद विभाग में अभी भी उहापोह की स्थिति बनी हुई है। क्योंकि धान खरीदने के बाद उसक कुटाई का संकट खड़ा होने वाला है। नियमानुसार खरीद के बाद धान की कुटाई होती है। इसके लिए विभाग राइस मिलों से अनुबंध करता है। अनुबंध की शर्तों के अनुसार उनके जमानत धनराशि व मिलों की क्षमता के मुताबिक धान उपलब्ध कराया जाता है। इस धान की कुटाई भारतीय खाद्य निगम में चावल जमा कर प्राप्ति रसीद देने पर विभाग करता है।

यह सब कुछ तय हो चुका है, मगर कुछ तय नहीं है तो राइस मिलों से अनुबंध की प्रक्रिया। वह इस नाते कि मंडल की 260 राइस मिलों में से 150 मिलें बकायेदार हैं। उनमें से कई तो बड़े बकायेदार हैं लेकिन कुछ मिलों पर सरकारी चावल का बकाया कम है। इनसे धान कुटाई से पूर्व वसूली करने की जिम्मेदारी जिला विपणन अधिकारियों की है, मगर यहां तो यह अधिकारी वसूली में रुचि ही नहीं दिखा रहे हैं, जिससे सरकार का बकाया करीब 29 करोड़ रुपया अब भी फंसा हुआ है। ऐसे में धान खरीद को लेकर उहापोह की स्थिति हो गई है।

मंडल की 42 राइस मिलें चयनित

धान खरीद को लेकर इस बार हाय तौबा मचने वाली है। कारण सरकारी बकाया है। इस बीच खाद्य एवं रसद विभाग ने मंडल की 42 अत्याधुनिक राइस मिलों को अब तक अनुबंध के लिए चयनित कर लिया है। अब यह मिलें लक्ष्य के मुताबिक धान की कुटाई कैसे करेंगी? इस सवाल पर अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

बकाया को लेकर कोई समझौता नहीं

संभागीय खाद्य नियंत्रक रवि कुमार कहते हैं कि जिन राइस मिलों पर बकाया है उनसे वसूली में कोई समझौता नहीं होगा। कुछ मिलर संपर्क में आकर बकाया देने के लिए किस्त की शर्त रखे हैं। उनको वरीयता दी जाएगी, मगर विभागीय शर्तों व नियमों के अनुसार। धान खरीद को लेकर विभाग पूरी रणनीति बना चुका है। इस बार रिकार्ड खरीद की जाएगी। रही जिला विपणन अधिकारियों द्वारा वसूली में लापरवाही की बात तो इसकी समीक्षा होगी। यदि सरकारी धन वसूली में लापरवाही पाई गई तो संबंधित के खिलाफ सख्ती बरती जाएगी।


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