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आया सावन, कैलाश छोड़ धरती पर लौटे महादेव

बस्ती : देवाधि देव महादेव के आस्था की इन दिनों बयार बह रही है। अधिक-मास के बाद आराध्य की कृपा हासिल

By Edited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 09:20 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2015 09:20 PM (IST)
आया सावन, कैलाश छोड़ धरती पर लौटे महादेव

बस्ती : देवाधि देव महादेव के आस्था की इन दिनों बयार बह रही है। अधिक-मास के बाद आराध्य की कृपा हासिल करने का एक और अवसर पाकर शिवभक्त फूले नहीं समा रहे हैं। यथाशक्ति पूजा, पाठ, जलाभिषेक करने की होड़ लगी हुई है। महीने भर यह सिलसिला चलेगा।

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सावन के पहले दिन यानी शनिवार को भदेश्वरनाथ, कंपनी बाग, तिलकपुर, देवरिया माफी, महादेवा, कड़र आदि मंदिरों में मध्य रात्रि के बाद से ही भक्तों की आमद शुरू हो गई थी। सुबह आठ बजे इतनी भीड़ जुटी कि तिल रखने की कहीं जगह नहीं थी। जिन भक्तों को मंदिर जाने का अवसर नहीं मिल पाया वह अपने आसपास स्थित किसी भी शिवलिंग पर अभिषेक करते नजर आए।

श्रावण में पूजा का महात्म बताते हुए पंडित जय प्रकाश द्विवेदी बताते हैं कि सावन माह में शिव की आराधना का फल कई गुना बढ़ जाता है।

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सावन माह व्रत विधि-

सावन में व्रत करने से व्यक्ति को सभी तीथरें के दर्शन करने से अधिक पुण्य फल प्राप्त होते हैं। जिस व्यक्ति को यह व्रत करना हो, व्रत के दिन प्रात:काल में सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। श्रावण मास में न केवल भगवान शंकर की ही पूजा नहीं की जाती है, बल्कि भगवान शिव की परिवार सहित पूजा करनी चाहिए। सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से शुरू होकर सूर्यास्त तक किया जाता है। व्रत के दिन सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए। व्रत करने वाले व्यक्ति को दिन में सूर्यास्त के बाद एक बार भोजन करना चाहिए।

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श्रावण मास शिव उपासना महत्व-

इस व्रत का पालन कई उद्देश्यों से किया जा सकता है। महिलाएं श्रावण के 16 सोमवार के व्रत अपने वैवाहिक जीवन की लंबी आयु और संतान की सुख-समृ्दि्ध के लिये करती है, तो यह अविवाहित कन्याएं इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा से कर मनोवांछित वर की प्राप्ति करती है। सावन के 16 सोमवार के व्रत कुल वृद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति और सुख -सम्मान के लिये किया जाता है।


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