शहीदों का नगर, नहीं दिखता फुटपाथ इधर-उधर
बस्ती : राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28 से सटे छावनी बाजार के लोगों को फुटपाथ नसीब नहीं हो सका है। राजम
बस्ती : राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28 से सटे छावनी बाजार के लोगों को फुटपाथ नसीब नहीं हो सका है। राजमार्ग के निर्माण के दौरान इस बाजार का फुटपाथ खत्म हो गया। तब से आज तक यह बाजार बिना फुटपाथ के हो गया। राजमार्ग के साथ बने सर्विस लेन के सहारे की पैदल यात्री आवागमन करते हैं। सर्विस लेन की मुसीबत यह है कि इस बाजार में कोई स्थायी टैक्सी स्टैंड न होने से दर्जनों की संख्या में आटो व अन्य वाहन खड़े कर दिए जाते हैं। जिससे आए दिन पैदल व दो पहिया सवार गिरकर चोटिल होते हैं। सबसे खतरनाक स्थिति छावनी बाजार के मेन गली की है। यहां पर दुकानदारों की मनमानी के चलते सड़क सिकुड़ गई है। दोनों ओर से दुकानदार अपनी सारी दुकानदारी सड़क पर सामन फैलाकर ही करना चाहते है। और जब सब की एक जैसी मानसिकता है, तो कोई किसी को टोके तो कैसे?
यह है स्थिति:
स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण हुआ और लोगों को निर्माण के दौरान सर्विस लेन मुफ्त में मिल गया। शहीदों की सरजमीं छावनी, जहां के नौजवानों ने अंग्रेजों से भी अपना लोहा मनवा लिया था और तब अंग्रेजों को इसी कस्बे में छावनी बनानी पड़ी थी। जिसके बाद इसका नाम छावनी पड़ गया। लेकिन अब यदि यहां के विकास की बात करें तो सब कुछ हो चुका है। चमचमाती सड़कें भी इस बात का प्रमाण हैं। लेकिन जब बात फुटपाथ की आएगी तो फुटपाथ जैसा यहां पर कुछ भी नहीं है। कुछ फुटपाथ पर तो कब्जा स्थानीय लोगों ने अपनी दुकानें बढ़ाकर कर ली है, बाकी वाहनों के सहारे छोड़ दीजिए। सुबह ऐसा लगता है मानो आज यह कस्बा खूब साफ-सुथरा हो, लेकिन दस बजते ही यहां पर आड़ी तिरछी खड़ी वाहनों की लंबी लाइन लग जाती है। पटरी दुकानदार भी अपने कमाई के चक्कर में सर्विस लेन भी नहीं छोड़ते। जिससे आम राहगीरों को ही नहीं बल्कि उन व्यापारियों को भी दिक्कत होती है जिनके प्रतिष्ठान कस्बे के भीतर हैं और लोगों का आसानी से वहां तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
बैंक से लेकर थाने तक लगती हैं गाड़ियां
छावनी बाजार में एसबीआइ और पीएनबी बैंक की शाखा संचालित हो रही है लेकिन किसी के पास वाहनों की पार्किंग के लिए परिसर नहीं है। ऐसे में बैंक खुलते ही दो व चार पहिया वाहनों की कतार लग जाती है। इससे न सिर्फ स्कूल जाने वाले बच्चों को बल्कि कस्बे में जाने वाले उस हर जरूरतमंद को समस्या होती है जो अंदर बाजार में जाना चाहते है।
सड़क पर सजती है फल व सब्जी की मंडी
: आखिर यह फुटपाथ की समस्या दूर भी कैसे होगी जब अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए स्थानीय सब्जी व्यवसायियों द्वारा सड़क की पटरियों को ही दुकान बना दिया जाता है। इन व्यवसायियों का भी कहना है कि जब प्रशासन हमारे लिए कोई निश्चित स्थान नहीं तय कर रहा है तो आखिर हम अपने जीविकोपार्जन के लिए जाएं तो जाएं कहां।
अवैध निर्माण भी कम नहीं
वैसे तो अभी तक बात हो रही थी राजमार्ग के किनारे बने सर्विस रोड पर बने फुटपाथ की। लेकिन यदि थाने की बगल वाली गली में अंदर प्रवेश करना हो तो यहां तो स्थायी दुकानदारों ने अपनी दुकान को अच्छा दिखाने के चक्कर में अवैध निर्माण ही कर डाला है। जिस पर आज तक प्रशासन का डंडा नहीं चला तो उनके हौसले काफी बुलंद हैं। जिससे बाजार के दिनों में कस्बे में पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है।
नागरिकों की सुनिए-
: फुटपाथ की समस्या से जूझ रहे स्थानीय नागरिकों के अलावा बाजार आने वालों की भी समस्या कम नही है। तुर्शी गांव निवासी नन्हे यादव कहते हैं कि छावनी कस्बे में तो अब पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। जगह-जगह बेतरतीब खड़े वाहनों से पैदल यात्रियों को मुश्किल हो रही है तो वाहन चालकों की क्या दशा होगी। गोपालपुर के अशोक सिंह इस समस्या के लिए प्रशासनिक मशीनरी को जिम्मेदार ठहराते हैं, कहा कि प्रशासन इन पटरी दुकानदारों के लिए कोई स्थान निश्चित कर दे तो यह समस्या कभी नही आएगी। तुर्शी निवासी उग्रसेन सिंह व पूरेहेमराज गांव निवासी भगौती प्रसाद ने कहा कि कार्रवाई के साथ लोगों के अंदर सामूहिक हित की सोच विकसित करना आवश्यक है। जब तक स्थानीय स्तर पर इसके लिए प्रयास नहीं होगा, स्थिति में सुधार संभव नहीं है।