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डग्गामार वाहनों का सहारा मजबूरी

बस्ती : सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्रों तक आवागमन की सुविधा आसान करने के लिए सड़कों का जाल बिछा रही हो

By Edited By: Published: Wed, 03 Jun 2015 04:45 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2015 04:45 PM (IST)
डग्गामार वाहनों का सहारा मजबूरी

बस्ती : सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्रों तक आवागमन की सुविधा आसान करने के लिए सड़कों का जाल बिछा रही हो, लेकिन इन सड़कों पर यात्रा आज भी काफी मुश्किल है। कारण कि राजमार्ग से जुड़े अधिकतर संपर्क मार्गो पर निगम की बसें नहीं चलती लिहाजा लोगों को डग्गामार वाहनों का ही सहारा लेना पड़ता है। नतीजतन लोगों को मनमाना किराया चुकाने के साथ ही घंटों इंतजार भी करना पड़ता है।

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आजादी के पूर्व ही तहसील मुख्यालय बनने के बाद आज भी यहां पर यात्रा काफी कठिन है। राष्ट्रीय राजमार्ग को छोड़ कर यदि आपको कहीं यात्रा करनी है तो जर्जर सड़कों के साथ ही डग्गामार वाहनों से आपका सामना होगा।

तहसील क्षेत्र की सबसे व्यस्त सड़क हर्रैया-परशुरामपुर मार्ग को ही ले लिया जाए तो यह सड़क मखौड़ा, श्रृंगीनारी, स्वामी नरायन छपिया सहित आधा दर्जन पौराणिक व धार्मिक स्थलों को जोड़ती है। प्रति वर्ष हजारों की संख्या में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं पर यातायात की बदहाल व्यवस्था उनके लिए काफी कष्टकारी साबित होती है। विक्रमजोत-परशुरामपुर मार्ग, हर्रैया-विशेषरगंज मार्ग, कप्तानगंज-पंडूल मार्ग आदि पर यातायात व्यवस्था डग्गामार वाहनों के सहारे टिकी हुई है। दस से बीस किमी की दूरी तय करने के लिए लोगों को घंटों इंतजार तो करना पड़ता ही है साथ ही बीस-तीस रुपये भी चुकाने पड़ते हैं। रजनीश कुमार, संजय चौधरी, जितेन्द्र कुमार, विमलेंद्र चौधरी, शिवकुमार गुप्ता, संतोष कुमार, राहुल गुप्ता, गौरव आदि का कहना है कि यदि परिवहन निगम द्वारा इन मार्गो पर बसें चलाई जायं तो निगम की अच्छी आय हो सकती है तथा हम लोगों की यात्रा भी आसान हो जाएगी।


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