सात साल में सात कदम भी नहीं चली फाइल
बस्ती: परिवहन निगम यात्रियों और अपने कर्मचारियों को सुविधा देने के प्रति इमानदार नहीं है। सात वर्ष प
बस्ती: परिवहन निगम यात्रियों और अपने कर्मचारियों को सुविधा देने के प्रति इमानदार नहीं है। सात वर्ष पूर्व हुई निदेशक बोर्ड की बैठक में मंडल मुख्यालय पर क्षेत्रीय कार्यालय बनाने का प्रस्ताव पास तो हुआ मगर क्रियान्वयन अब तक नहीं हो पाया। न ही भवन निर्माण ही हो सका। जबकि अन्य तीन मंडल मुख्यालयों देवीपाटन, सहारनपुर व चित्रकूट का नाम भी इस सूची में था, जहां इस काम को पूरा कर लिया गया। लेकिन बस्ती की उपेक्षा हो रही है। इसके चलते यात्रियों को क्षेत्रीय कार्यालय की तर्ज पर सुविधाएं नही मिल पा रही हैं। रोडवेज कर्मियों को भी विभागीय कार्यो के लिए गोरखपुर तक की दौड़ लगानी पड़ती है।
वर्ष 2008-09 में परिवहन निगम बोर्ड निदेशक की बैठक हुई। जिसमें जिन मंडलों में निगम का क्षेत्रीय कार्यालय बनाने का प्रस्ताव पारित हुआ था उसमें बस्ती भी शामिल है। देवीपाटन, सहारनपुर व चित्रकूट में तो क्षेत्रीय कार्यालय बन गया लेकिन प्रस्ताव सूची में शामिल होने के बाद भी अधिकारी बस्ती को भूल गए। आलम यह है कि रोडवेज के कर्मचारियों को आरएम स्तर के कार्यो को अंजाम देने के लिए गोरखपुर तक का सफर करना पड़ता है।
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सबका होता कायाकल्प-
- क्षेत्रीय कार्यालय बनने से केवल सतही सुविधाएं नहीं बढे़गी , बल्कि इसके बाद रोडवेज के दर्जनों कर्मियों को पदोन्नति पाने का अवसर मिलेगा। जिससे निश्चित तौर पर उनके जीवन में बदलाव आएगा। इतना ही नहीं, अधिकारियों, कर्मचारियों को अपनी समस्या को लेकर गोरखपुर नहीं जाना पड़ता।
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एआरएम भागीरथ सिंह ने बताया कि निदेशक बोर्ड की बैठक में बस्ती को भी शामिल किया गया था। लेकिन अभी इसे मूर्त रूप देने की पहल नहीं हुई है। शासन स्तर पर इसकी कवायद चल रही है। सिंह के मुताबिक क्षेत्रीय कार्यालय बनने से यात्रियों के रोडवेज कर्मियों को सुविधा मिलेगी।