चंद्रशेखर को याद कर नम हुई आंखे
बस्ती : देश को आजाद कराने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले अमर बलिदानी चन्द्र शेखर आजाद को
बस्ती : देश को आजाद कराने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले अमर बलिदानी चन्द्र शेखर आजाद को पुण्य तिथि पर याद किया गया। चित्राश क्लब अध्यक्ष अजय कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में शिविर कार्यालय पर लोगों ने चन्द्र शेखर आजाद के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके योगदान को रेखाकित किया।
डा. कुलदीप सिंह ने कहा कि चंद्र शेखर आजाद की माता जगरानी देवी उन्हें संस्कृत का विद्वान बनाना चाहती थीं, इसीलिए उन्हें संस्कृत सीखने लिए काशी विद्यापीठ बनारस भेजा गया। दिसबंर 1921 में जब गाधी जी द्वारा असहयोग आदोलन की शुरुआत की गई उस समय मात्र चौदह वर्ष की उम्र में चंद्रशेखर आजाद ने इस आदोलन में भाग लिया जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित किया गया। जब चंद्रशेखर से उनका नाम पूछा गया तो उन्होंने अपना नाम आजाद और पिता का नाम स्वतंत्रता बताया। यहीं से चंद्र शेखर सीताराम तिवारी का नाम चंद्रशेखर आजाद पड़ गया था। उन्हें पंद्रह दिनों के कड़े कारावास की सजा दी की गई।
युवा काग्रेस अध्यक्ष अंकुर वर्मा ने कहा कि चन्द्र शेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों से युवा प्रेरणा लें। उनके अमर बलिदान का ही प्रतिफ ल है कि आज हम आजाद हैं। अचूक निशानेबाज होने के कारण चंद्र शेखर आजाद दूसरे क्रातिकारियों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ पंडित हरिशकर ब्रह्मचारी के छद्म नाम से बच्चों के अध्यापन का कार्य भी करते थे। वह धिमारपुर गाव में अपने इसी छद्म नाम से स्थानीय लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए थे। उनकी देशभक्ति युवाओं के लिए सदैव प्रेरणा का श्रोत बनी रहेगी।
क्लब संरक्षक सर्वेश श्रीवास्तव ने कहा कि चन्द्र शेखर आजाद का सम्पूर्ण जीवन देश के लिये समर्पित था। आजादी उनका एक मात्र संकल्प था। देश तो आजाद हो गया किन्तु आजाद के सपने अधूरे हैं। उसे युवाओं को पूरा करना होगा।
आजाद की पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम में चित्राश क्लब के नगर अध्यक्ष उमेश श्रीवास्तव, मनमोहन श्रीवास्तव ,अनिल श्रीवास्तव, प्रदीप पाण्डेय, वृहस्पति पाण्डेय, पंकज त्रिपाठी, बृजेश श्रीवास्तव, राधेश्याम चौधरी, राजेश मिश्र, सूरज गुप्त, लवकुश गुप्त, विक्रम चौहान, वीरेन्द्र गोस्वामी, जितेन्द्र कौशल सिंह आदि मौजूद रहे।