रसोई गैस उपभोक्ताओं को लूट रहीं एजेंसियां
बस्ती : डायरेक्ट बेनीफिट टू एलपीजी का फायदा नुकसान अभी भविष्य के गर्भ में है, मगर यहां तो लोगों के च
बस्ती : डायरेक्ट बेनीफिट टू एलपीजी का फायदा नुकसान अभी भविष्य के गर्भ में है, मगर यहां तो लोगों के चूल्हे पर संकट खड़ा हो गया है। रसोई गैस में आन लाइन करा चुके उपभोक्ता तो बैंक में आने वाले अनुदान को लेकर झेल ही रहे हैं, जिनका आन लाइन नहीं हो सका है वे और अधिक परेशान हैं। क्योंकि उन्हें बुकिंग कराने के बाद भी कई-कई दिनों तक गैस नहीं मिल पा रही है।
जिले में तीन पेट्रोलियम कंपनियों के कुल 14 एजेंसियां काम कर रही हैं। इस पर कुल एक लाख अड़तीस हजार चार सौ छियासी उपभोक्ता रसोई गैस पाते हैं। इन एजेंसियों से उपभोक्ताओं को अनुदानित रसोई गैस मिलती है। केंद्र सरकार ने रसोई गैस व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए गैस कनेक्शनधारियों को अनुदान का लाभ सीधे दिए जाने की व्यवस्था बनाई। गैस एजेंसियां उपभोक्ताओं का बैंक खाता व पता संबंधी विवरण आन लाइन करना शुरू किया। लंबी- लंबी लाइन व धक्का मुक्की के बीच उपभोक्ता जैसे-तैसे योजना से जुड़ने के लिए जूझे। योजना में 53 प्रतिशत लोग जुड़े भी, मगर इसमें कईयों के अनुदान बैंक खातों में ही नहीं आ रहे हैं, जबकि योजना से वंचितों को 31 मार्च तक अनुदानित रसोई गैस दिए जाने की व्यवस्था है, मगर डीबीटीएल ने अनुदानित गैस उपलब्ध कराने में बाधा डाल दी है। एजेंसियों का तर्क है कि जरूरत के मुताबिक अनुदानित सिलेंडर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, मगर हकीकत इससे अलग है। सभी एजेंसियों पर हर दिन एक ट्रक यानी करीब तीन से चार सौ अनुदानित सिलेंडर आ रहा है, जिसका वितरण भी कागजों में कर दिया जाता है।