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अदालत ने विवेचक को फटकारा, डीजीपी को पत्र

बस्ती : बैंक का कूटरचित चेक बनाकर 9.75 लाख की ठगी करने वाले को न्यायिक दंडाधिकारी अतुल कुमार चौधरी न

By Edited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 10:21 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 10:21 PM (IST)
अदालत ने विवेचक को फटकारा, डीजीपी को पत्र

बस्ती : बैंक का कूटरचित चेक बनाकर 9.75 लाख की ठगी करने वाले को न्यायिक दंडाधिकारी अतुल कुमार चौधरी ने दोषी ठहराया है। अपराध में लिप्त शाखा प्रबंधक व सहायक शाखा प्रबंधक को बचाने के आरोपी विवेचक राणा प्रताप सिंह के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही के लिए महानिदेशक पुलिस को न्यायालय ने पत्र लिखा है।

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बेलघाट स्थित पूर्वाचल बैंक के शाखा प्रबंधक अमर नाथ सिंह ने 23 अक्टूबर 2011 को कप्तानगंज थाना में तहरीर दिया। कहा कि उसकी शाखा के मल्टी सिटी चेक संख्या 316013 को गायब कर 10 अगस्त 2011 की तिथि में 9 लाख 75 हजार रुपये दर्शाते हुए गौर थाना क्षेत्र के शिवपुर निवासी मनोज सिंह ने भारतीय स्टेट बैंक की गौर शाखा में अपने खाता में जमा किया, और चेक का भुगतान खाते में करा लिया। एटीएम व निकासी पर्ची के माध्यम से 7 लाख रुपये निकाल लिया। आरोपी ने 30 सितंबर 11 से लेकर 10 नवंबर तक प्रत्येक दिन खाते से रुपया निकाला, पर बैंक को पता ही नहीं चला। शाखा प्रबंधक अमर नाथ सिंह ने गौर शाखा पर पत्र भेजा, तब 2 लाख 75 हजार रुपये खाते में रोकते हुए एसबीआई ने तब सूचना दिया । जब वह 7 लाख रुपये निकालते में सफल रहा। इस मामले की विवेचना तत्कालिक थानाध्यक्ष कप्तानगंज राणा प्रताप सिंह को प्राप्त हुई। विवेचना के दौरान अपने अंतिम पर्चा दिनांक 10 दिसंबर 2011 में विवेचक ने यह उल्लेख किया कि आरोपी द्वारा बैंक कर्मियों को मिलाकर ही चेक प्राप्त किया गया है। यह भी लिखा कि आरोपी शाखा प्रबंधक अष्टभुजा शुक्ला व सहायक शाखा प्रबंधक राम सुरेश के हस्ताक्षर को प्राप्त कर मिलान हेतु विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा जा रहा है। परंतु विवेचक ने दोनों बैंक कर्मियों का हस्ताक्षर नमूना नहीं प्राप्त किया, और न ही नमूना प्रयोगशाला में भेजा। विवेचक को अदालत ने जब गवाही के लिए तलब किया तो उनके द्वारा कहा गया कि आरोपी बैंक कर्मियों का नमूना न मिल पाने के कारण प्रयोगशाला नहीं भेजा जा सका। अदालत को विवेचक के इसी बयान पर आपत्ति थी। और फटकार लगाते हुए अदालत ने लापरवाह विवेचक के विरुद्ध कार्यवाही के लिए डीजीपी को लिखा है। विवेचना के समय दोनों बैंक कर्मी बेलघाट में तैनात थे। जानबूझ कर उनका नमूना नहीं लिया गया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपी को धोखाधड़ी व कूटरचना आदि अपराधों का दोषी पाया है। जिसमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्राविधान है। इस न्यायालय को तीन साल से अधिक सजा देने का अधिकार प्राप्त नहीं है। इस लिए सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए पत्रावली सीजेएम की अदालत को सौंपी गई है। सजा के बिंदु पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।


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