शहीदों की याद में निकाला जुलूस, नौहा पढ़ा
बस्ती: कर्बला के शहीदों के बीसवीं पर अंजुमने हैदरी हल्लौर की ओर से गाधी नगर में मातमी जुलूस निकाला ग
बस्ती: कर्बला के शहीदों के बीसवीं पर अंजुमने हैदरी हल्लौर की ओर से गाधी नगर में मातमी जुलूस निकाला गया। जुलूस इमामबाड़ा शब्बीर हुसैन, रहतमगंज से शनिवार की दोपहर शुरू हुआ। जुलूस में शामिल लोग शहीदों की याद में नौहा पढ़ रहे थे और मातम कर रहे थे। कुछ नौजवानों ने जंजीरों व तलवारों से मातम करके खुद को लहूलुहान कर लिया था। जुलूस में इमाम हुसैन की सवारी जुलजुनाह का प्रतीक निकाला गया।
जुलूस के साथ अलम व ताबूत को भी शामिल किया गया था। अकीदतमंदों ने इनकी जियारत की और खिराजे अकीदत पेश किया।
अंजुमने हैदरी हल्लौर के नौहाख्वाह सावन हल्लौरी ने नौहा पढ़ा ''किस तरह सितम ढ़ाए गए दूर वतन से, बीमार बताएगा ये बीमार बहन से''। इसके बाद हानी हल्लौरी ने नौहा सुनाया ''ऐ बाली सकीना अब जिंदान तेरा घर है, ये आखिरी मंजिल है ये आखिरी मंजर है''। उनके इस नौहे को लोगों ने खूब पसंद किया। इमाम हुसैन की छोटी बेटी हजरत सकीना के इस नौहे को सुनकर हर आखें अश्कबार नजर आ रही थी। इसके बाद अम्मार हल्लौरी ने इमाम की बहन हजरत जैनब की कर्बला से वापसी का नौहा सुनाया ''अब कहा जाए कुछ तो बता दो भैया, मेरी आवाज पे आवाज मिला दो भैया''। इसके अलावा अंजुम कदर, रैना, फैजी, मुमताज, सुहेल हैदर बस्तवी ने भी नौहा पढ़ा। जुलूस स्टेट बैंक के पीछे स्थित हुसैनी मस्जिद पर पहुंचकर समाप्त हुआ।
अल्लामा जमाल हैदर ने वहा आयोजित मजलिस को खिताब फरमाया और कर्बला के शहीदों की कुर्बानी को याद किया। उन्होंने कहा कि यजीद और उसकी हुकूमत जिस हुसैन को शहीद करके ये समझ बैठी थी कि हमने नवासए रसूल का नाम मिटा दिया, उसी हुसैन की आज दुनिया के करोड़ों दिलों पे हुकूमत है। इमाम हुसैन एक विचार धारा है जो कयामत तक बाकी रहेगी। जुलूस में मौलाना अली हसन, मौलाना हैदर मेंहदी, डॉ. बीएच रिजवी, जीशान रिजवी, सरवर रिजवी, अन्नू, शम्स आबिद, मोहम्मद रफीक, अनवार काजमी, फरहत हुसैन, जर्रार हुसैन, राजू, इंतेजार, नजफी, अकील हैदर सहित अन्य लोग मौजूद रहे।