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दावे पर भारी लापरवाही

जागरण संवाददाता, बस्ती : स्थान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र साऊंघाट। समय 12 बजे। पेड़ के छाये में चे

By Edited By: Published: Mon, 29 Sep 2014 10:28 PM (IST)Updated: Mon, 29 Sep 2014 10:28 PM (IST)
दावे पर भारी लापरवाही

जागरण संवाददाता, बस्ती : स्थान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र साऊंघाट। समय 12 बजे। पेड़ के छाये में चेक लेने के लिए कर्मचारियों का इंतजार करती धात्री महिलाएं। चिकित्सकों की खोजबीन करती निगाहें। अंदर से लेकर बाहर तक मरीजों का झुंड। अस्पताल के अंदर से उठता मच्छरों को भगाने का धुंआ। पर मरीजों की सुधि लेने वाले नदारद दिखे।

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जागरण ने शुक्रवार को अस्पताल का दौरा किया। यहां सुदूर गांवों के मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की सरकार की मंशा पर पानी फिरता नजर आया। यहां न तो मरीजों की सुधि लेने के लिए चिकित्सक ही तत्पर दिखाई दिये, न ही कर्मचारी। पता चला कि दो-दो चिकित्सा अधिकारियों की तैनाती विभाग ने कर रखी है। एक तो डा. महेंद्र कुमार जो एमबीबीएस हैं उन्हें केवल प्रशासनिक चिकित्साधिकारी का दर्जा प्राप्त है। दूसरे राकेश मणि त्रिपाठी हैं जो बीएएमएस हैं और उन्हें विभाग ने आहरण वितरण व वित्तीय जैसे महत्वपूर्ण दायित्व को सौंपा है।

कनिष्ठ सहायक हरिनाथ वर्मा के अतिरिक्त कोई भी कर्मचारी जब प्रशासनिक भवन में नहीं दिखा तो कारण पूछने पर पता चला कि साप्ताहिक बैठक आपरेशन थियेटर में हो रही है। डा. त्रिपाठी ने बड़ी मुश्किल से समय निकाल समय देने से इंकार कर दिया और फिर ओटी में वापस चले गये। यहां ढेरों खामियां नजर आई।

यहां पहुंचना आसान नहीं

बस्ती-मेहदावल मार्ग जहां क्षतिग्रस्त होकर राहगीरों को पीड़ा पहुंचा रहा है, वहीं कोड़र चौराहे से अस्पताल तक पहुंचना मरीजों व कर्मचारियों के लिये आसान नहीं। सड़क की गिट्टियां व बीच राह के जानलेवा गड्ढे अच्छे भले इंसान को भी अपंग बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते।

अब तक हो रहा इंतजार

पुराने वृक्ष के नीचे चबूतरे पर बैठी महिलाएं पूनम, सरोज, शांती व रुख्साना ने बताया कि बहुत पहले बच्चा पैदा हुआ था, लेकिन अभी तक चेक नहीं मिला। पहले तो आशा ही लाकर गांव की महिलाओं को चेक दे देती थीं लेकिन अब तो वह भी नहीं मिल पा रहा है। सोचा कि आज मीटिंग चल रही है, आज सभी कर्मचारी मौजूद होंगे, इसलिए चली आई। यहां तो कोई भी बाहर हैं ही नहीं जिससे अपनी मजबूरी बताएं। यहां किसी को हम लोगों की सुधि लेने का समय ही नहीं ।


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