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दो साल बीत गए, नहीं बना रोगी आश्रय स्थल

By Edited By: Published: Wed, 17 Sep 2014 10:47 PM (IST)Updated: Wed, 17 Sep 2014 10:47 PM (IST)
दो साल बीत गए, नहीं बना रोगी आश्रय स्थल

जागरण संवाददाता, बस्ती : जिले के तीन ब्लाक मुख्यालयों पर बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज की सारी सुविधाएं मुहैया कराई गईं लेकिन तीमारदारों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इनको खुले आसमान तले रात गुजारनी पड़ती है। दो साल से यहा आश्रय स्थल बनाया जा रहा ,पर यह कार्य अधर में लटका है। अब तो इसकी निर्माण लागत भी बढ़ा दी गई है।

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ठंडक, गर्मी हो या फिर बरसात। भान पुर, परशुरामपुर और विक्रमजोत के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों के साथ आने वाले परिजनों के लिए कोई ठौर-ठिकाना नहीं है। तीस शैय्या युक्त इन स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज की सारी सुविधाएं मुहैया कराई गई, लेकिन चिकित्सक और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी के चलते एक तो मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, दूसरे जब कभी यहां मरीजों की भीड़ बढ़ती है तो तीमारदारों को बाहर रहकर मरीजों की देखभाल करनी पड़ती है। इस समस्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव पर रोगी आश्रय स्थल बनाने को स्वीकृति दी गई। जून 13 में स्वीकृत इन भवनों की निर्माण लागत 22 लाख 28 हजार रही। कार्य आरंभ करने के लिए कार्यदायी संस्था आवास विकास परिषद को प्रत्येक केंद्र के लिए पचास फीसद यानी 11.14 लाख रुपए उसी समय दिए गए लेकिन निर्माण कार्य वर्ष 14 में शुरू कराया गया। मिला धन व्यय कर तीनों स्थानों पर दीवार खड़ी कर छत लगवा दी गयी है। तीमारदारों के लिए बनाए जा रहे आश्रय स्थल कब पूरे होंगे इस बारे में न तो केंद्र के प्रभारियों के पास और न ही सीएमओ के पास कोई जवाब है।

निर्माण की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में : आश्रय स्थल के निर्माण में एक तो दोयम दर्जे का ईट प्रयुक्त किया गया दूसरे निर्माण में प्रयुक्त होने वाली सामग्री में भी मानकों का ध्यान नहीं रखा गया है। भवन की छतें एवं दीवार कमजोर हैं तथा बारिश होने पर छत से पानी टपक रहा है। कार्य दायी संस्था के अधिशासी अभियंता आर ए वर्मा का कहना है पिछले महीने उनके द्वारा कार्य स्थल का निरीक्षण किया गया है। निर्माण कार्य संतोष जनक पाया गया है, फिर भी वह दोबारा इसकी जांच करेंगे और अगर गड़बड़ी पाई गई तो कार्य मानक के अनुसार कराया जाएगा।

31 लाख पहुंच गई निर्माण लागत : रोगी आश्रय स्थल के निर्माण की लागत बढ़ाकर 31 लाख कर दी गई है। इसके पीछे कार्यदायी संस्था का तर्क है कि निर्माण इस्टीमेट वर्ष 2011 में तैयार किया गया और 2013 में स्वीकृत किया गया। निर्माण कार्य वर्ष 2014 में पुराने दर पर शुरू करा दिया गया। तीनों स्थलों पर पचास फीसद कार्य हो चुका है। कार्य पूरा करने के लिए 31 लाख का पुनरीक्षित आंगणन तैयार कराया गया है।

भानपुर, परशुरामपुर और विक्रमजोत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों की कमी दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। रही बात तीमारदारों की तो इनके लिए आश्रय स्थल का निर्माण कराया जा रहा है। अब तक इसे क्यों नहीं पूरा किया गया। पता करवाता हूं।

डा.जेपी सिंह, मुख्य चिकित्साधिकारी


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