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प्रधानमंत्री की 49 सड़कों की होगी उच्चस्तरीय जांच

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 10:17 PM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 10:17 PM (IST)
प्रधानमंत्री की 49 सड़कों की होगी उच्चस्तरीय जांच

जागरण संवाददाता, बस्ती : प्रधानमंत्री ग्राम सड़क निर्माण योजना की पुरानी 36 और नई 13 कुल 49 सड़कों के क्वालिटी की उच्चस्तरीय जांच होगी।

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यह निर्णय सोमवार को विकास भवन सभागार में सांसद हरीश द्विवेदी की अध्यक्षता में हुई जिला सर्तकता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में लिया गया है। यह मामला विधायक रुधौली संजय प्रताप जायसवाल और एमएलसी प्रतिनिधि जगदीश प्रसाद शुक्ल ने उठाया तो समिति के तमाम सदस्यों ने इसको लेकर हो हल्ला मचाया और कहा प्रधानमंत्री की सड़कों के उदाहरण दिए जाते रहे लेकिन यहां इस योजना में बनाई जा रही सड़कों के निर्माण में मानकों की अनदेखी की जा रही है। पांच साल के भीतर की 36 ऐसी सड़कें हैं जो गड्ढे में तब्दील हो गई हैं। ठेकेदार को इन सड़कों का पांच साल तक अनुरक्षण करना होता है लेकिन अनुरक्षण का पैसा बंदरबांट कर लिया जा रहा है। और तो और नई 13 जो सड़के बनाई जा रही है उनकी क्वालिटी काफी खराब है। कई ऐसी सड़कें हैं जो एक तरफ बनाई गई दूसरी तरफ टूट गई। अधिशासी अभियंता वीके सिंह गौर ने सफाई में कहा पुरानी सड़कों में तमाम ओवरलोड वाहन चलने के चलते क्षतिग्रस्त हुई। रही बात अनुरक्षण की तो नोटिस देने के बाद कार्य न करने वाले तमाम ठेकेदारों की जमानत राशि जब्त कर ली गई है और कई को काली सूची में डाल दिया गया है। सदस्य इस पर सहमत नहीं हुए और जांच कराने की मांग करने लगे। जांच का निर्णय हुआ तो जनप्रतिनिधियों ने स्थानीय स्तर से इसकी जांच न कराने को कहा। सदस्यों की इस मांग पर सांसद हरीश द्विवेदी कहा इन सड़कों की भारत सरकार से जांच कराने की संस्तुति की जाएगी।

इससे पहले अपरान्ह एक बैठक की शुरूआत अधिकारियों की उपस्थिति से हुई। तमाम जिम्मेदार अधिकारियों की गैरमौजूदगी का मामला उठा तो सांसद ने एक बार अनपुस्थित रहने वाले अधिकारी से स्पष्टीकरण प्राप्त किया जाए और दो बार न आने वाले के खिलाफ कार्यवाही के लिए शासन को पत्र लिखा जाए। पिछली बैठक गायब रहने वाले चार अफसरों के खिलाफ कार्यवाही के लिए शासन को पत्र लिखा गया जबकि 11 को कारण बताओ नोटिस जारी की गई। इनमें से आधे ने कोई जवाब ही नहीं दिया। इनके खिलाफ भी शासन को पत्र लिखने का निर्देश दिया गया।

गत बैठक के कार्यवाही पुष्टि करने के बाद अनुपालन पर चर्चा शुरू हुई तो वन विभाग लपेटे में आ गया। मनरेगा के तहत वन विभाग को दिए गए धन की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। साल बीतने को हैं लेकिन कमेटी को अभिलेख ही नहीं दिए गए जिससे जांच नहीं हो पाई। इस पर सदस्यों ने प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी वन प्रभाग के खिलाफ कार्यवाही की मांग की जाने लगी। इस पर जिलाधिकारी अनिल कुमार दमेले ने कहा 15 दिन में अभिलेख नहीं देने पर कार्यवाही की जाएगी।

मनरेगा की चर्चा में हिस्सा लेते हुए विधायक प्रतिनिधि एवं ब्लाक प्रमुख गुलाब चंद सोनकर ने बताया मनरेगा में मजदूरों की 14 करोड़ देनदारी है। धनाभाव के चलते योजना बंदी के कगार पर है। इसका तमाम ब्लाक प्रमुखों ने समर्थन किया और कहा मनरेगा में कच्चे कार्य नहीं रह गए है। इसमें 40 की जगह 60 फीसद पक्के कार्य और 40 फीसद कच्चे कार्य करने का प्रावधान किया जाना चाहिए। समिति ने इसको लेकर भारत सरकार को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया है।

इंदिरा आवास की चर्चा में बताया गया जिले को 4410 आवासों का लक्ष्य मिला है लेकिन अब तक धन अप्राप्त है। सदस्यों ने इसकी लागत लोहिया आवास की तरह बढ़ाने की मांग की। सांसद ने कहा आवास बंटवारे में असंतुलन है। इसको बराबर हरेक ब्लाक को दिया जाना चाहिए।

बैठक में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और निर्मल भारत अभियान तथा गांवों में साफ-सफाई को लेकर चर्चा की गई। बताया गया स्वच्छता समिति के खाते में धन होने के बावजूद साफ-सफाई नहीं हो पा रही है। इसको लेकर एएनएम और प्रधान के बीच सामंजस्य का अभाव है। कई सदस्यों ने रात में जाने वाले मरीजों को अस्पताल से प्राइवेट नर्सिग होम में ले जाने की शिकायत हुई तो सांसद ने इसकी जांच कराकर कार्यवाही का निर्देश दिया।

कस्तूरबा और मान्यता प्रकरण गूंजा, जांच के आदेश

समिति की बैठक में हो गया पांच करोड़ का टेंडर, सब बेखबर शीर्षक से जागरण में छपी खबर का हवाला देते हुए एमएलसी प्रतिनिधि हरीश सिंह ने बताया कस्तूरबा बालिका विद्यालय में सामग्री की आपूर्ति का पांच करोड़ का टेंडर गुपचुप तरीके से कर दिया गया। ऐसा कर विभाग को भारी चोट पहुंचाई गई है। इसको लेकर कई और सदस्यों ने जांच कराने की मांग की। जिलाधिकारी ने इस मामले से जुड़ी पत्रावली को तलब कर लिया और कहा इसकी जांच कर कार्यवाही होगी।

सिंह ने मान्यता को लेकर स्कूलों को परेशान किए जाने की बात उठाई तो जिलाधिकारी ने प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया भूकंपरोधी नियमों का शिथिल कर लंबित मान्यता के प्रकरण निस्तारित कर दिए जाएं।


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