मोजपुर रिंग बांध टूटा
जागरण संवाददाता, बस्ती : घाघरा के तटबंध विक्रमजोत धुसवा का मोजपुर रिंग बांध के टूटने से आस-पास बसे दर्जनों गांव में तबाही शुरू हो गई है, घरों में पानी घुस गया है। हालांकि ग्रामीणों के सहयोग से प्रशासन ने देर शाम तक टूटे बांध की मरम्मत लगभग पूरी कर ली। मगर खतरा अभी टला नहीं है। ग्रामीणों का पलायन तेज हो गया है। लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में कुनबे सहित निकल पड़े हैं। जिलाधिकारी एके दमेले व पुलिस अधीक्षक वीपी श्रीवास्तव ने मौके पर पहुंच कर बाढ़ बचाव के संदर्भ में मातहतों को आवश्यक निर्देश दिए हैं।
मोजपुर रिंग बांध का निर्माण करीब पांच वर्ष पूर्व तीन ग्राम पंचायतों की निधि से किया गया था, ताकि कनघुसरा, अशोकपुर, भुवरिया, टकटकवा, मोतीरामपुर, बानेपुर सहित करीब एक दर्जन गांवों को बाढ़ की तबाही से बचाया जा सके। तीन वर्ष बीत गए लेकिन जर्जर हो चुके रिंग बांध की मरम्मत कराने के लिए न तो किसी जन प्रतिनिधि ने कोई पहल की, न ही सिंचाई विभाग की नजर इस पर गई। नतीजन घाघरा का जल स्तर बढ़ने से टूट गया। अब सिंचाई विभाग व प्रशासनिक अधिकारी आग लगने पर कुंआ खोदने की उक्ति चरितार्थ कर रहे हैं।
ग्रामीण बताते हैं कि रिंग बांध में रिसाव कई दिन से हो रहा था। ग्रामीण उसे मरम्मत करने में जुटे थे। लेकिन मंगलवार की सुबह घाघरा के जलस्तर में अचानक वृद्धि में आई तेजी से हालात बेकाबू हो गए और बांध टूट गया। बांध टूटते ही समूचे इलाके में हाहाकार मच गया। आस-पास के गांवों के बच्चे बूढे़, नवजवान सभी बांध की मरम्मत में जुट गए। अंतत: शाम तक कामयाबी मिल गई। लेकिन नदी के बढ़ते दबाव से अभी भी बांध के टूटने का खतरा बरकरार है। कारण यह कि विक्रमजोत क्षेत्र में भी घाघरा की प्रलयंकारी बाढ़ वर्ष 1998 की याद दिलाने लगी है। गौरियानैन, मुड़ेरीपुर, बाघानाला में बाढ़ का पानी भर गया है। सैकड़ों लोग अब तक घर बार छोड़कर पलायन कर चुके हैं। सबसे बड़ी बिडंबना तो यह है कि विक्रमजोत से लेकर लोलपुर तक अभी बांध का निर्माण नहीं हुआ है।