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यहां आना खतरे से खाली नहीं

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 11:08 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jul 2014 11:08 PM (IST)
यहां आना खतरे से खाली नहीं

जागरण संवाददाता, बस्ती : जनपद मुख्यालय स्थित जिले का इकलौता महिला चिकित्सालय नवजात शिशुओं और प्रसूताओं के लिए काल का गाल साबित हो रहा है। विभागीय दु‌र्व्यवस्था, चिकित्सकों की कमी व संसाधनों के अभाव का आलम यह है दूर दराज गांव से आने वाला कौन सा मरीज इसका शिकार हो जाएगा यह तय नहीं है।

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गुरुवार को सायं 3 बजे आलम यह रहा कि जनरल वार्ड में मरीजों के बिस्तर के नीचे कुछ कुत्ते बेखौफ सोए हुए थे, तो कुछ इधर-उधर भटक रहे थे। इक्का दुक्का को छोड़ न तो किसी बेड पर साफ सुथरी चादर थी न ही सफाई की समुचित व्यवस्था। जगह-जगह बिखरे खाद्य सामग्रियों पर मक्खियां भनभना रही थीं। कराहते मरीजों के परिजन नर्सो व चिकित्सकों को ढूंढ रहे थे। इमरजेंसी में स्थित नर्सिग रूम में फ्लोरेंस नाइटिंगल को अपना आदर्श बताने वाली नर्से ठहाका लगा रही थीं। वार्ड के बाहर बारिश का पानी फैला हुआ था। जिस पर मच्छर भनभना रहे थे। टीकाकरण केंद्र के बाहर का नजारा यह रहा कि दुर्गध युक्त कीचड़ से सने पानी में घुस कर मरीज व उनके तीमारदार किसी जिम्मेदार को तलाश रहे थे। लेकिन अफसोस यह कि वहां कोई मौजूद नहीं था।

पानी के अभाव में सूख रहे थे गले

महिला अस्पताल परिसर में पेय जल व्यवस्था का आलम यह रहा कि मरीजों और उनके परिजनों के गले पाने के लिए सूख रहे थे। लेकिन पेय जल व्यवस्था के लिए लगाया गया आरओ सिस्टम बेकार पड़ा था। रैन बसेरा के सामने लगे इंडिया मार्क हैंड पंप के चारों तरफ गंदगी का अंबार था। नाक पर रुमाल रख लोग बोतल, गिलास व जग में पानी तो निकाल ले रहे थे। लेकिन वहां से हटते ही उन्हें उबकाई आने लगती थी।

शौचालय से उठ रही थी दुर्गध

वार्डो में बनाए गए शौचालय की स्थित यह रही कि दूर से ही उसमें दुर्गध उठ रही थी। नाक दबाकर किसी तरह मरीज घुसते जरूर मगर बाहर लौटने पर उनके चेहरे की रंगत बदल जाती थी। लग रहा था कि अरसा बीत गया इसकी सफाई नहीं की गई।

रैनबसेरे पर लटक रहा था ताला

मरीजों के परिजनों को ठहरने के लिए बनवाया गए रैनबसेरे पर ताला लटक रहा था। यहां भी गंदगी का आलम यह रहा कि रहने की बात कौन करे कोई मुड़कर देखने की हिम्मत नहीं जुटा सकता है।

तीमारदारों की सुनिए

बसडीला निवासी प्रदीप कुमार से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वार्ड में कुत्ते घूम रहे हैं, जिन्हें भगाने वाला कोई नहीं है। रुधौली निवासी धनुज का कहना है कि शौचालयों की दशा बद से बदतर हो गई हैं। मजबूरन लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं। सरयू नहर कालोनी निवासी इसरावती देवी ने कहा कि वार्ड में घूमते कुत्ते कभी भी किसी बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। महादेवा निवासिनी मिंता देवी कहती हैं वार्ड के बाहर जल जमाव में शाम होते ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है।

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जिला महिला अस्पताल में न तो कोई दु‌र्व्यवस्था है, न ही सफाई का अभाव। दरअसल अस्पताल प्रशासन तो सफाई और मरीजों की सुविधा को लेकर हमेशा सतर्क रहता है। वार्डो व परिसर में गंदगी के लिए मरीज व उनके परिजन कम जिम्मेदार नहीं हैं। गांवों से आने वाले मरीज अस्पताल के प्रति अपनी जिम्मेदारी बिलकुल नहीं समझते। उन्हें भी इसके प्रति जिम्मेदार होना होगा। रही बात स्वास्थ्य कर्मियों की तो यदि किसी के लापरवाही की पुष्टि हुई तो कड़ी कार्रवाई होगी।

सीएमएस डा. सरोज बाला


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