बिल्डरों से 80 हजार करोड़ वसूलेगी सरकार
बिल्डरों से कब्जों के बदले वर्तमान सर्किल रेट के हिसाब से करीब 80 हजार करोड़ रुपये वसूलने की तैयारी है, जुर्माना अलग से डाला जाएगा।
बरेली (सुशील कुमार)। नहरों पर अवैध कब्जा करके खड़ी की गईं कॉलोनियों पर प्रदेश सरकार बड़ा फैसला करने जा रही है। रास्ता बीच का निकाला गया है, ताकि सरकार को जमीन की कीमत मिल जाए और लोग भी बेघर न हों। फैसले के मुताबिक शिकंजा उन बिल्डरों पर कसेगा जिन्होंने नहरों की जमीन खुर्द-बुर्द की।
उन्हीं से कब्जों के बदले वर्तमान सर्किल रेट के हिसाब से करीब 80 हजार करोड़ रुपये वसूलने की तैयारी है। जुर्माना अलग से डाला जाएगा। इस बाबत जल्द ही सिंचाई मंत्रलय कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव लाने जा रहा है।
सिंचाई मंत्रलय के आंकड़ों पर गौर करें तो सूबे की प्रमुख 600 नहरों में से प्रदेश की साढ़े सात हजार सहायक नहरें जुड़ी हैं।
इनके जरिये नौ लाख हेक्टेयर से अधिक रकबा सिंचित हो रहा है। हालांकि, बढ़ते शहरीकरण में 1700 किमी से अधिक नहरों पर कब्जे हो गए। आगरा व कानपुर में छह बड़ी नहरों पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बन गए। इनकी कीमत दस हजार करोड़ से अधिक आंकी गई है।
बरेली, मुरादाबाद, अलीगढ़, लखनऊ मंडल में भी दो दर्जन नहरों का नामोनिशान नहीं रहा। बरेली, आगरा व कानपुर में नहरें कब्जाई गईं। नहरों पर 11 हजार से अधिक आवास बन गए। कब्जे ढहाना आसान नहीं: प्रदेश सरकार भी मानने लगी है कि अब यह कॉलोनियां ढहाना आसान नहीं है। इसीलिए बीच का रास्ता निकालते हुए सिंचाई मंत्रलय ने ऐसी जमीनों का सर्वे कराया, जो लगभग पूरा होने जा रहा है। इसके पूरा होते ही कब्जा करने वाले बिल्डरों पर शिकंजा कसेगा। कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर उनसे वसूली की जाएगी।
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सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह कहते हैं, 'सिंचाई मंत्रलय की दर्जनों नहरों पर बिल्डरों ने कब्जा करके कॉलोनियां बना दी हैं। आगरा, कानपुर, बरेली में कॉम्प्लेक्स बना दिए गए। अब सरकार कैबिनेट में बड़ा प्रस्ताव लाने जा रही है। सर्किल रेट के हिसाब से मय जुर्माने के नहर की जमीन की कीमत वसूलेगी। जरूरत पड़ने पर बिल्डरों पर रिपोर्ट भी होगी।'