LIVE - BJP की नीतियों से किसान,व्यापारी सभी परेशान : मुलायम
नोट बदलने की क्या जरूरत थी,बीजेपी बताए,नए नोट छपे ही नहीं,पुराने अचानक बंद किए। किसान-व्यापारी सगे भाई की तरह हैं,BJP की नीति से किसान,व्यापारी परेशान
लखनऊ (जेएनएन)। बरेली में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कहा कि केंद्र सरकार में किसान और व्यापारी सबसे ज्यादा दुखी हैँ। किसान और व्यापारी दोनों सगे भाई की तरह हैं। उन्होंने कहा, 'प्रदेश सरकार ने सभी चुनावी वादे पूरे किए। लेकिन केंद्र सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए। 15 लाख देने की बात की गई थी, जो कि नहीं पूरी हुई।' उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने कथनी और करनी में कभी भेद नहीं किया। हम लोग अंग्रेजी के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन इसकी अनिवार्यता के खिलाफ है। किसी भी देश में पता लगा लो, जिसने अपनी भाषा में काम किया है, उसने तरक्की की है।
सपा मुखिया ने यूरोप का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां अंग्रेजी नहीं बोली जाती है। अपनी भाषा में उन्होंने तरक्की की है। हमारी भाषा हिंदी और उर्दू है। हमने कहा था कि जो उर्दू में लिखेगा, उसे पेपर में पांच नंबर ज्यादा दिए जाएंगे। हम लोग जाति-धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं चाहते हैँ। उन्होंने कहा कि कालाधन ज्यादा घरों में नहीं है, बस सौ घरों में है। मोदी जी ने जितना ठगा है, उसका जवाब देश की जनता आने वाले चुनावों में देगी।
मुलायम सिंह यादव ने कहा कि नोटबंदी से बहुत नुकसान हुआ है। लोगों की लगातार मौत हो रही है। नोट बदलने का कोई मतलब नहीं था। सपा मुखिया ने कहा, 'नोट बदलने के लिए छह महीने का समय दिया जाता। यहां तक की नए नोट भी पूरे नहीं छपे हैं। उन्होंने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि कालाधन किसके पास है? इसकी वजह से किसानों, मजदूरों को काफी दिक्कत हुई। सभी लोगों पर इसका प्रभाव पड़ा है। उन्होंने रोजगार पर बात करते हुए कहा कि आज पांच लाख जगह खाली है, लेकिन युवाओं को नौकरियां नहीं मिल रही है।
पहली रैली 23 नवंबर को गाजीपुर में हुई थी, जिसमें गठबंधन को लेकर बना असमंजस खत्म होने के आसार थे, मगर मुलायम ने इस मुद्दे पर जनता की नब्ज भी नहीं टटोली। पहली और दूसरी रैली के बीच एक पखवारे के अंतराल में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिल्ली, फीरोजाबाद और लखनऊ में तीन बार कहा कि कांग्रेस से गठबंधन होता है तो तीन सौ सीटें जीतेंगे। मगर, दोनों दलों के प्रयासों का खुलासा नहीं हुआ। ऐसे में कार्यकर्ताओं में गठबंधन होने या न होने को लेकर असमंजस बना है। टिकट बंटवारे पर परिवार के तीन सदस्यों के दावे उन्हें और बेचैन किये है।
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