पहाड़ में बाढ़, मैदान से रूठे बादल
जागरण संवाददाता, बरेली : पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में झमाझम बारिश हो रही है। गढ़वाल में बाढ़ आ गई है, लेकिन मैदानी इलाके में सूखा पड़ा है। हर रोज मैदानी इलाके में बादल बन रहे हैं लेकिन छिटपुट बारिश करके लौट जा रहे हैं। झमाझम बारिश के लिए के इंतजार में किसान की फसलें सूखी जा रही है।
मौसम विज्ञानियों की भविष्यवाणी के उलट अब तक बहुत कम बारिश हुई। पिछले साल अब तक 610 मिलीमीटर बारिश हो चुकी थी, लेकिन इस साल अब तक 115 मिलीमीटर बारिश हुई है। ऐसे में किसान परेशान हैं। जो धान की रोपाई कर चुके हैं और उन्हें सिंचाई करनी है। बारिश न होने से किसानों को सिंचाई के लिए डीजल का खर्च उठाना पड़ रहा है।
मौसम विज्ञानी डा. एचएस कुशवाहा ने बताया कि आसमान में छाए बादलों की निचली पर्त का तापमान जब शून्य से -10 डिग्री सेल्सियस तक होता है तो बारिश होती है। बादलों के बरसने में तापमान का महत्वपूर्ण रोल होता है। तापमान और हवा के रुख में बदलाव के कारण बारिश नहीं हो रही है।
धान की रोपाई कर फंसे किसान
धान की रोपाई करके किसान फंस गए हैं। बारिश होने की उम्मीद में किसानों की रोपाई कर दी है। लेकिन अब बारिश नहीं हो रही है। ऐसे में धान को बचाए रखना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। बहेड़ी के किसान जैल सिंह ने बताया कि बिजली नहीं आती है। डीजल पंप चलाकर धान की रोपाई कर दी। उम्मीद थी कि बारिश होगी लेकिन धान की फसल सूख रही है। अब तो किसान की स्थिति मरता क्या न करता की हो गई है। धान लगा दिया तो उसे बचाने के लिए कर्ज लेकर सिंचाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर बिजली मिले तो सिंचाई का खर्च कुछ कम हो जाए लेकिन न तो बिजली विभाग और न ही प्रदेश सरकार इस ओर ध्यान दे रही है। अगर यही स्थिति रही तो जितने का धान नहीं होगा, उससे ज्यादा उस पर खर्च हो जाएगा। उप कृषि निदेशक डा. तेजवीर तेवतिया ने बताया कि किसानों के सामाने अब धान को बचाए रखना कठिन है। साल दर साल बारिश कम होती जा रही है। इसलिए अब सबक लेना पड़ेगा कि कम पानी वाली धान की फसलों को लगाया जाए।