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Loksabha election 2019: गठबंधन की सियासत और सपा में बगावत

गठबंधन के तहत सपा न बसपा के लिए जो दो सीटें छोड़ीं उन पर सपा के दो बड़े नेताओं ने बगावत कर दूसरे दलों का दामन थाम लिया।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 03:46 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 03:46 PM (IST)
Loksabha election 2019: गठबंधन की सियासत और सपा में बगावत
Loksabha election 2019: गठबंधन की सियासत और सपा में बगावत

चुनाव डेस्क, बरेली: सपा को बसपा का साथ और बसपा को सपा का। दोनों मिलजुल कर भाजपा का सामना करेंगे। इस उम्मीद के साथ जो गठबंधन हुआ, मंडल में उसे सियासी महत्वाकांक्षा ने कटघरे में ले लिया। खासतौर से सपाई खेमे से जुड़े नेताओं की ओर से। बसपा के लिए जो दो सीटें छोड़ीं, दोनों पर सपा के दो बड़े नेताओं ने बगावत कर दूसरे दलों का दामन थाम लिया। इसका असर होगा या नहीं, यह तो चुनाव में पता चल सकेगा। मगर इतना तय है कि मंडल में सपा-बसपा के रिश्तों में कुछ टीस जरूर होगी। यहां दूसरी तस्वीर देखना भी दिलचस्प होगा। वह यह है कि तीन सीटें सपा के छोड़ी गईं हैं। वहां बसपाइयों को उन्हें चुनाव लड़ाना है।

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गठबंधन के तहत आंवला और शाहजहांपुर में बसपा प्रत्याशी को मैदान में उतारा जाना तय हुआ, जबकि बरेली, पीलीभीत और बदायूं में सपा प्रत्याशी को। जब से यह तय हुआ, आंवला और शाहजहांपुर में सपा के दावेदार दूसरा घर तलाशने में जुट गए थे। तीन दिन पहले आंवला के पूर्व सांसद सर्वराज सिंह ने सपा छोड़ दी। वह दो बार इसी पार्टी से सांसद बने थे। ज्वाइनिंग के चंद घंटे बाद उनका कांग्रेस से टिकट भी घोषित कर दिया गया।

एक ही दिन बीता कि शाहजहांपुर में भी सपा को झटका लगा। वहां से पूर्व सांसद मिथलेश कुमार ने रविवार को सपा छोड़ दी।

और चोट का डर, दो सीटों पर अटकी घोषणा

सपा को जिन तीन सीटों पर प्रत्याशी उतारने हैं, उनमें से सिर्फ बदायूं में धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार घोषित किया गया है। बाकी बरेली और पीलीभीत में कोई नाम अभी तक तय नहीं हो सका। यहां भी दावेदारी खारिज होने पर नाराजगी का डर होगा।

क्या कहते हैं पदाधिकारी

मिथलेश कुमार आज जो कुछ भी है वह सपा की देन है। उन्हें टिकट के लिए पार्टी को छोड़ना नहीं चाहिए था। गठबंधन हाईकमान का फैसला है। फार्मूले के तहत पहले से ही तय था टिकट बसपा को मिलेगा। मिथलेश ने सत्ता के लालच में पाला बदला। यह मैसेज आम मतदाता तक पहुंच चुका है।

तनवीर खां, जिलाध्यक्ष सपा, शाहजहांपुर

राजीव कश्यप को अनुशासनहीनता में पूर्व में ही पार्टी से निकाला जा चुका था। मिथिलेश कुमार के भाजपा में जाने से प्रत्याशी को फायदा हुआ। सपा में रहते हुए भीतरघात से बड़ा नुकसान हो सकता था। जनता भी उनकी फितरत जान गई है।

खेमकरन लाल गौतम, जिलाध्यक्ष बसपा, शाहजहांपुर

मौकापरस्त लोग चुनाव की खातिर दूसरे दलों में चले जाते हैं। जो सच्चा समाजवादी है, वह पार्टी में ही रहेगा। कौन जाता है, कौन आता है, इसकी परवाह नहीं है। हमारा सेक्टर व बूथ स्तर पर हर कार्यकर्ता मजबूती से लगा हुआ है। किसी के आने या जाने से गठबंधन पर फर्क नहीं पड़ेगा। -शुभलेश यादव, निवर्तमान जिलाध्यक्ष सपा, बरेली

चुनाव जीतने की बुनियाद कार्यकर्ता और जनता है जोकि इस बार गठबंधन के साथ है। किसी संगठन से किसी नेता के जाने से फर्क नहीं पड़ता। हमारी तैयारी मजबूत है। कार्यकर्ता चुनाव में जुटे हुए हैं।

-राजेश सागर, जिलाध्यक्ष, बसपा, बरेली


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