अब प्रयोग कर बनेंगे काबिल इंजीनियर
जागरण संवाददाता, बरेली : इंजीनिय¨रग की मोटी किताबें रटने के बजाय छात्रों को प्रैक्टिकल आधारित पाठ्यक
जागरण संवाददाता, बरेली : इंजीनिय¨रग की मोटी किताबें रटने के बजाय छात्रों को प्रैक्टिकल आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाए। ताकि किताबी के बजाए व्यवहारिक ज्ञान भी हो सके। यूजीसी की इस पहल पर रुहेलखंड विश्वविद्यालय के इंजीनिय¨रग विभाग ने पाठ्यक्रम में संशोधन का मन बनाया है। आगामी चार अगस्त को फैकल्टी की बैठक बुलाई गई है।
यूजीसी ने विवि को हर तीन वर्ष में पाठ्यक्रम रिवाइज करने का निर्देश दिया है। स्पष्ट किया है कि कोर्स में थ्योरी के बजाय प्रैक्टिकल, रिसर्च को वरीयता दी जाए। ताकि छात्र काबिल बनें। रुविवि ने वर्ष 2011 में इंजीनिय¨रग कोर्स में मामूली अपडेट किया था। पर अबकी हर ट्रेड का पूरा पाठ्यक्रम संशोधित होगा। ताकि बीटेक प्रथम वर्ष से थ्योरी का बोझ इंजीनिय¨रग के छात्रों के लिए ऊबाऊ न हो जाए।
एमसीए-एमएससी में संशोधन
- एमएससी और एमसीए का भी पाठ्यक्रम रिवाइज होगा। बैठक के बाद सभी विभाग अपना संशोधित सिलेबस बनाएंगे।
लैब में काम से बनेंगे काबिल
- इंजीनिय¨रग विभाग के डीन प्रो. एके गुप्ता कहते हैं कि थ्योरी पढ़ने से छात्र अच्छा इंजीनियर नहीं बन सकते। पाठ्यक्रम में प्रैक्टिकल पर फोकस किया जाएगा। प्रो. गुप्ता के मुताबिक अधिकांश छात्र ¨हदी मीडियम के होते हैं। अंग्रेजी में कमजोरी के कारण वे इंटरव्यू ही क्वालिफाई नहीं कर पाते। अंग्रेजी सुधार के लिए ये प्रयास किया जा रहा कि सिलेबस में चारों वर्ष अंग्रेजी विषय पढ़ना अनिवार्य किया जाए।