पर्दे के पीछे के कलाकारों का खास रोल
जागरण संवाददाता, बरेली : उत्तरायणी मेले को इन ऊंचाइयों पर पहुंचाने में पर्दे के पीछे छिपे कलाकारों क
जागरण संवाददाता, बरेली : उत्तरायणी मेले को इन ऊंचाइयों पर पहुंचाने में पर्दे के पीछे छिपे कलाकारों का भी अपार योगदान रहा है। मेले की तैयारियों के लिए वे लगभग दो माह से लगते हैं। तब कहीं यह विस्तृत रूप और पहाड़ की सौगातें शहरवासियों तक पहुंच पाती है। आलम यह है कि इन कलाकारों के पांच दिन मेले में ही बीतता है। आफिसों और अपने सभी कामों को मेले की तैयारी के लिए छोड़ देते हैं। सदर बाजार के अनूप पांडे बताते हैं कि मेला शुरू होने से पहले लग जाते हैं। दिनेश रौताना ने बताया कि रात में भी जागकर सेवा करते हैं। मनोज पांडेय ने कहा कि छुंट्टी लेकर मेले में आते हैं। शुरू से से लेकर आखिरी दिन तक सत्कार और सेवा करते हैं।
इनका भी रहता सहयोग
भूपाल सिंह बिष्ट, विपिन वर्मा, दिनेश पांडेय, प्रकाश पाठक, गिरीश पांडेय, कुंवर सिंह बिष्ट, सुरेश पांडेय, प्रकाश चंद्र जोशी, अनूप पांडेय, एनडी पांडेय, संतोष पांडेय, जगदीश सती, भुवन चंद्र पांडेय, मुकुल त्रिपाठी, सीपी जोशी, पूरन सिंह दानू, जगदीश आर्या, पीसी जीना, धनश्याम ग्वाल, पीएस दताल, रतन सिंह गुंजियान, नारायण चंद्र जुगताल, जगत सिंह दताल, जेसी बेलवाल
गढ़वाल राइफल के बैंड ने किया आकर्षित
इस बार रानीखेत से 14 गढ़वाल राइफल का बैंड सूबेदार राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में पहुंचा है। बैंड मास्टर हवलदार महेश चंद्र नौटियाल के निर्देशन में बैंड कई पहाड़ी धुनों समेत देशभक्ति के गीतों पर कुशल प्रदर्शन करता है। बेडू पाको बारू मासा, हाई तेरी रुमाला, कैले बाजे मुरूली समेत तमाम गीतों की धुन बजाने में बैंड के सदस्य माहिर हैं।
क्विज प्रतियोगिताओं में बांटे गिफ्ट
मेले के बीच में ही पर्वतीय समाज से जुड़े तमाम प्रश्न भी लोगों से पूछे गए। सही जवाब देने पर उन्हें उपहार भी दिए गए। मैजिक कम्युनिकेशन और अमारो इनटीरियो की ओर से गिफ्ट बांटे गए।