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रफ्तार से बढ़ रहा जान का जोखिम

जागरण संवाददाता, बरेली : वाहन की रफ्तार जिंदगी से ज्यादा जरूरी नहीं। फिर भी चालक बेतरतीब, अनियंत्रित

By Edited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 12:57 AM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 12:57 AM (IST)
रफ्तार से बढ़ रहा जान का जोखिम

जागरण संवाददाता, बरेली : वाहन की रफ्तार जिंदगी से ज्यादा जरूरी नहीं। फिर भी चालक बेतरतीब, अनियंत्रित गति से वाहन दौड़ाते हैं। परिवहन विभाग ने दो पहिया और चार पहिया वाहनों के लिए रफ्तार के मानक तय किये हैं मगर हम नियमों को दरकिनार का जाते हैं। नतीजा दुर्घटना होने पर दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। खुद अपने लिए संकट पैदा करने के साथ राह में पैदल चलने वालों के लिए भी खतरा बन जाते हैं। वार्षिक आंकड़ों के अनुसार 60 फीसद दुर्घटनायें मानक से अधिक गति से वाहन चलाने की वजह से होती हैं। यदि गति नियंत्रित रखें तो जान और माल की क्षति से हम बच सकते हैं।

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यातायात में कॉमर्शियल और नॉन कॉमर्शियल वाहनों के लिए गति सीमा 40 किमी प्रति घंटा निर्धारित है। अस्पताल, बच्चों के स्कूल और व्यस्त बाजारों में यह गति 20 किमी प्रति घंटा रखी गई है। हाईवे और शहर की सड़कों पर चालक गति के संकेतों का पालन तक नहीं करते हैं। यही वजह है कि भीषण हादसों में लोग अपनी जिंदगी गवां देते हैं। घायल होने पर शरीर की क्षति के साथ जिंदगी भर मानसिक बोझ तले दबे रहते हैं। एक्सपर्ट भी मानते हैं कि गति के निर्धारित मानकों का पालन करके हादसों की आशंका को कम किया जा सकता है।

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दुर्घटना के वार्षिक आंकड़े

महीना हादसे अनियंत्रित गति से हादसा

जनवरी 65 32

फरवरी 71 49

मार्च 122 78

अप्रैल 91 65

मई 89 32

जून 92 76

जुलाई 79 45

अगस्त 78 41

सितंबर 99 34

अक्टूबर 120 67

नवंबर 98 43

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दो पहिया और चार पहिया वाहनों के संचालन में मानक गति का पालन करना चाहिए। अधिक गति में वाहन चलाने वालों को पुलिस नियमों के प्रति जागरुक करती है।

-ओपी यादव, एसपी ट्रैफिक


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