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कानून के कॉलेज में नियम तार-तार

जागरण संवाददाता, बरेली : कानून का कॉलेज में जहां नियम कायदों की बात होती है, उसी कॉलेज में नियमों की

By Edited By: Published: Sat, 25 Jun 2016 01:23 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2016 01:23 AM (IST)
कानून के कॉलेज में नियम तार-तार

जागरण संवाददाता, बरेली : कानून का कॉलेज में जहां नियम कायदों की बात होती है, उसी कॉलेज में नियमों की धज्जियां उड़ा दी गई। वहां प्राचार्य की नियुक्ति में ही फर्जीवाड़ा कर दिया। हैरत की बात है कि जिनका नाम कॉलेज के कागजों में बतौर प्राचार्य चल रहा, उन्हें इस बारे में पता ही नहीं था। जब उन्हें इस बारे में पता चला तो बार काउंसिल ऑफ इंडिया और राजभवन में शिकायत की। राजभवन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए रुहेलखंड विश्वविद्यालय से रिपोर्ट तलब की है। इस बाबत विश्वविद्यालय के अधिकारी कह रहे हैं कि यदि ऐसा हुआ है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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मामला शाहजहांपुर के विधि महाविद्यालय मिर्जापुर का है। वहां वर्ष 2014 में विधि प्राचार्य की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार हुए थे। ग्राम सोफीपुर जखनियां गाजीपुर के डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी इसमें शामिल हुए थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि साक्षात्कार के बाद उनसे कहा गया कि अनुमोदन होने के बाद नियुक्ति मिलेगी। इसके बाद कॉलेज ने कोई सूचना नहीं दी।

कागजों पर चलता रहा नाम

डॉ. राजेंद्र को भनक नहीं लगी, दूसरी ओर कॉलेज वालों अनुमोदन होने के बाद उनके नाम से सारे काम करने शुरू कर दिए। कागजों में उनका नाम ही बतौर प्राचार्य दर्ज होता रहा। डॉ. राजेंद्र को पता चला तो वह चौंक गए। उनका कहना है कि अगर कोई कार्य उनके नाम से होता उसका सीधा जिम्मेदार वहीं होंगे। कॉलेज प्रशासन कहीं भी उनको फंसा सकता है।

कॉलेज प्रबंधक की बात

कॉलेज प्रबंधक का कहना है कि अनुमोदन होने के बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद कॉलेज आए ही नहीं। उनके नाम का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। हालांकि पूछने पर उन्होंने प्राचार्य का नाम भी नहीं बताया।

विवि प्रशासन पर खड़े हो रहे सवाल

कॉलेज को संबंद्धता देते वक्त विवि प्रशासन एक पैनल गठित करता है जोकि भौतिक निरीक्षण करता है। हैरानी की बात यह है कि विवि प्रशासन ने यह तक नहीं देखा कि कौन प्राचार्य है। कहा जा रहा है कि ऐसा दर्जनों कॉलेजों में हो रहा है कि एक शिक्षक या प्राचार्यको कई कॉलेजों से अनुमोदन हुआ होगा।

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वर्जन

मामला गंभीर है, राजभवन से जांच कराने के निर्देश मिले हैं। प्राचार्य के नाम में फर्जीवाड़ा सच साबित हुआ तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

-साहब लाल मौर्या, कुलसचिव

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद का प्राचार्य पद के लिए अनुमोदन हुआ था, लेकिन वह नहीं आए। उनके नाम का प्रयोग प्राचार्य पद पर नहीं किया जा रहा है। आरोप बेबुनियाद हैं।

-धर्मजीत सिंह, प्रबंधक विधि महाविद्यालय मिर्जापुर शाहजहांपुर

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साक्षात्कार के बाद कॉलेज वालों ने अनुमोदन होते ही मुझे बुलाने को कहा मगर बाद में सूचना नहीं दी। जबकि मेरे नाम का प्रयोग प्राचार्य पद पर किया जा रहा है।

-डॉ. राजेंद्र प्रसाद, शिकायतकर्ता


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