कानून तोड़कर कराते रहे कानून की पढ़ाई
जागरण संवाददाता, बरेली : बरेली कॉलेज का विधि विभाग पिछले पांच साल से नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए क
जागरण संवाददाता, बरेली : बरेली कॉलेज का विधि विभाग पिछले पांच साल से नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कानून की पढ़ाई करा रहा है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) से मान्यता और सेशन आवंटित न कराकर सैकड़ों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर डाला। मामला बिहार पीसीएस-जे की परीक्षा के लिए हुए आवेदनों से खुला जब बिहार शासन ने बरेली कॉलेज के सर्टिफिकेट को मानने से ही इन्कार कर दिया। वहीं कॉलेज प्रशासन की हठधर्मिता की हद देखिए, मामला सामने आने के बाद भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं। छात्रों को सेशन आवंटित होने का सर्टिफिकेट देने से इन्कार कर दिया।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सन् 2008 के बाद विधि के कोर्स चलाने की स्थायी मान्यता देना बंद कर दिया। तीन या पांच साल के लिए ही अब मान्यता मिलती है। मान्यता और सेशन के लिए कॉलेज को बीसीआइ में निर्धारित फीस जमा करनी होती है। बरेली कॉलेज प्रशासन ने फीस जमा करना मुनासिब नहीं समझा। 2011 से कॉलेज ने बीसीआइ की फीस नहीं जमा की। अगर विधि विशेषज्ञों की मानें तो कॉलेज ने छात्रों के साथ फर्जीवाड़ा किया है। अगर बीसीआइ से कोर्स चलाने की मान्यता नहीं मिली है तो सीधा मतलब है कि उन डिग्रियों की भी कोई मान्यता नहीं जो इस दौरान दी गई हैं। वहीं मामला सामने आने के बाद कॉलेज प्रशासन में भूचाल सा आ गया है।
बिहार पीसीएस-जे से खुला मामला
बरेली कॉलेज विधि की बार काउंसिल से मान्यता का मामला बिहार पीसीएस-जे के परीक्षा फॉर्म से खुला। बरेली के दर्जनों छात्रों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया है। परीक्षा में बैठने के लिए छात्रों से बार काउंसिल द्वारा कॉलेज को मान्यता और सेशन आवंटित करने का सर्टिफिकेट मांगा गया। कॉलेज ने सर्टिफिकेट तो दिया पर सेशन आवंटन को लेकर कोई सूचना सर्टिफिकेट में नहीं दी। बिहार शासन ने सारे सर्टिफिकेट लेने से मना कर दिया। कहा कि सेशन आवंटन की भी जानकारी दी जाए। छात्रों ने गुरुवार को बरेली कॉलेज में हंगामा किया। कार्यवाहक प्राचार्य डा. सोमेश यादव के सामने मामला रखा गया। अब बार काउंसिल की मान्यता की बात आई तो पता चला कि कॉलेज ने 2011 से बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता ही नहीं ली। मान्यता के लिए कोई फीस नहीं जमा की। बिना मान्यता से ही पांच साल से विधि की पढ़ाई चल रही है। कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. सोमेश यादव ने स्पष्ट कह दिया कि कार्यवाहक प्राचार्य होने के नाते वो इस बाबत कोई निर्णय नहीं ले सकते।
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वर्जन
-जिन छात्रों ने सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था, उनको सर्टिफिकेट दे दिए गए। रही बात बार काउंसिल की फीस जमा करने की बात तो छात्रों से उसका कोई मतलब नहीं। कॉलेज प्रशासन फीस जमा कर देगा। वो कॉलेज की चिंता है। जिन छात्रों के सर्टिफिकेट रह गए हैं, उनको जारी कर दिए जाएंगे।
-डॉ. दीपक आनंद, हेड विधि विभाग बरेली कॉलेज
अगर कोई कॉलेज विधि के कोर्स संचालित के लिए सेशन अलॉट नहीं कराता है तो उसकी मान्यता निरस्त हो जाती है। उसे मानक पूरे करके दोबारा मान्यता लेने होगी। इस दौरान ली गई डिग्री भी बिना मान्यता की होगी।
-अजय कुमार शुक्ला, सदस्य यूपी बार काउंसिल व पूर्व चेयरमैन।