प्रदूषित हवा से बढ़ रहे नाक-कान, गले के रोगी
जागरण संवाददाता, बरेली: प्रदूषित आबोहवा के कारण नाक-कान और गले के बढ़ते रोगियों की संख्या ने चिकित्स
जागरण संवाददाता, बरेली: प्रदूषित आबोहवा के कारण नाक-कान और गले के बढ़ते रोगियों की संख्या ने चिकित्सा दुनिया के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। लिहाजा इस क्षेत्र में इलाज के लिए नए-नए तरीके ईजाद हो रहे हैं तो कुछ पर रिसर्च भी चल रही है। श्री राममूर्ति स्मारक मेडिकल कॉलेज में ईएनटी विभाग की ओर से चल रहे नेशनल कांफ्रेंस राइनोकॉन के दूसरे दिन कई ईएनटी चिकित्सकों ने शोध पत्र पेश किए। सेमिनार में अमेरिका, टर्की, मस्कट, इजरायल आदि देशों के चिकित्सक भी हिस्सा ले रहे हैं।
ऑल इंडिया राइनोलॉजी सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. अचल गुलाटी ने एंडोस्कोपिक साइनस सर्जरी पर रिपोर्ट पेश की। उन्होंने बताया कि आज अधिकतर बीमारियां प्रत्येक स्तर पर फैले प्रदूषण से हो रहीं हैं। उन्होंने बताया कि सड़कों पर भारी संख्या में चल रहे वाहनों से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। हर दिन हजारों लीटर प्रदूषित वायु नाक के रास्ते शरीर के अंदर घुसकर फेफड़ों को संक्रमित करती है। उन्होंने कहा कि जागरूक होकर ही संक्रमण से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है। कोई भी परेशानी होने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें, ताकि समस्या गंभीर न हो। सीनियर कंसल्टेंट डॉ. आईएस गुप्ता, डॉ. मनोज कृष्णन ने मौजूदा समय नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञों के समक्ष आ रही चुनौतियों से रूबरू कराया। डॉ. आशीष मल्होत्रा ने फेल्योर इन इन्डो डीसीआर पर रिपोर्ट पेश की। अमेरिका से आई डॉ. देवयानी लाल ने दूरबीन विधि से नाक का कैंसर के साथ अन्य जटिल आपरेशन करने की आधुनिकतम तकनीकों की जानकारी वीडियो दिखाकर दी। सर गंगाराम हास्पिटल के डॉ. देवेंद्र राय, अपोलो के डॉ. अरविंद सोनी, पीजीआइ चंडीगढ़ के डॉ. अशोक गुप्ता ने नाक के रास्ते स्कल बेस ट्यूमर की सर्जरी के जरिए दिमाग के ट्यूमर निकालने की जानकारी दी। आयोजन सचिव डॉ. विनीत शर्मा ने बताया कि इस तरह की कांफ्रेंस से देश विदेश के मशहूर चिकित्सकों से नवीनतम तकनीकों से अपडेट होने का मौका मिलता है। डॉ. प्रियंका चक्रवर्ती, डॉ. प्रेरणा भारती, डॉ. कुणाल निगम आदि ने रिसर्च पेपर पेश किए। इस मौके पर चेयरमैन देवमूर्ति, आयोजन समिति अध्यक्ष डॉ. रोहित शर्मा, सचिव डॉ. संदीप कुमार, डॉ. विनीत शर्मा, उमेश, केएम शर्मा, राघवेंद्र आदि मौजूद रहे।
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अब नाक, कान, गले तक सीमित नहीं रहे ईएनटी सर्जन
बरेली: ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. विनीत शर्मा ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि अब ईएनटी सर्जन का काम सिर्फ नाक, कान और गले के इलाज तक ही सीमित नहीं रह गया है। बल्कि आधुनिक चिकित्सा तकनीक के इस्तेमाल से अब वे न्यूरो सर्जन की तरह भी काम करने लगे हैं। नाक के रास्ते दिमाग तक पहुंचकर पथरी आदि निकालने की सर्जरी ईएनटी सर्जन करने लगे हैं। यह संभव हुआ है एंडोस्कोपिक स्कल्स बेस सर्जरी से। पहले सर्जरी में दस दिन लगते थे अब दो दिन में मरीज को राहत मिल रही है।
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सुनने-बोलने में अक्षम बच्चों के लिए राम बाण कोकिलियर इंप्लांट
बरेली: सीनियर कंसल्टेंट डॉ. आशील मल्होत्रा ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि जेनेटिक या फिर डिलीवरी में कुछ कमी के कारण तमाम ऐसे बच्चे पैदा होते हैं जिनमें सुनने की क्षमता कम होती है, जिससे वे बोल भी नहीं पाते। ऐसे बच्चों के लिए कोकिलियर इंप्लांट तकनीक रामबाण की तरह है। बच्चों के कान में अमेरिका की बनी मशीन सर्जरी से फिट होती है। जब बच्चा सुनने लगता है तो उसे स्पीच थेरेपी से बोलने की प्रैक्टिस कराई जाती है।