बूथों तक बलखाय चलीं बहुरियां
जागरण संवाददाता, बरेली: गांवों की पतली पगडंडी रही हो या फिर बूथ का रास्ता दिखाने वाली कच्ची-पक्की सड़
जागरण संवाददाता, बरेली: गांवों की पतली पगडंडी रही हो या फिर बूथ का रास्ता दिखाने वाली कच्ची-पक्की सड़क। हर जगह पीली-नीली, हरी-सुर्ख साड़ियों में सजी-धजी बहुएं डग भरतीं नजर आईं। घूंघट की ओट से छिप-छिप कर इधर-उधर झांकती नजरों के बीच वे साथ चल रहीं सास या जेठानी से गांव की सियासत पर भी चर्चा करने से नहीं चूक रहीं थीं। केंद्र पर पहुंचने के बाद कतार लगाकर शुरू कर दिया अपनी बारी का इंतजार। सुबह के समय ज्यादा भीड़ के चलते बहुओं को ज्यादा समय तक लाइन में लगना पड़ा। मगर खड़े होने के दर्द पर मतदान का जोश भारी पड़ रहा था। यही वजह रही कि जब तक अंगुली में पक्की नीली स्याही लग नहीं गईं वे डटीं रहीं। यह गांव की तहजीब का असर और बड़े-बुजुर्गो के लिहाज की परंपरा रही कि भले ही बहुओं को एक से दो घंटे तक लाइन में खड़े रहना पड़ा। इस बीच बार-बार हवाओं के रुख से उड़ रहे घूंघट को उन्हें संभालना पड़ा।
सारे काम छोड़कर पहले वोट
गिरधरपुर केंद्र पर लाइन में लगीं महजबीं पहली बार मतदान करने जा रहीं थीं। बोलीं कि पहले मतदान की उत्सुकता ही कुछ खास होती है। सोचा पहले मतदान दे लेती हूं इसके बाद ही घर का चूल्हा-चौका करूंगी। भोजीपुरा इलाके के करमपुर चौधरी मतदान केंद्र पर भी हंसीरन और जैबुल भी चूल्हा-चौका छोड़कर सुबह नौ बजे ही वोट देने के लिए लाइन में लग चुकीं थीं।
बहुओं ने मांगा शौचालय
दमखोदा के गिरधरपुर मतदान केंद्र पर मिली महिलाओं ने गांव में घर-घर शौचालय न होने की पीड़ा बताई। हालांकि यह चौंकाने वाली बात रही कि इस गांव में अधिकांश लोगों के पास पक्के मकान हैं, मगर जागरुकता की कमी के कारण वे शौचालय के लिए सरकारी रहमोकरम का इंतजार कर रहे हैं। महिलाओं ने कहा कि वे जीतने वाले प्रत्याशी से शौचालय बनवाने की मांग करेंगी।