टेक्नोलॉजी का प्रयोग करें मगर सलीके से
बरेली: तकनीक के इस जमाने में बच्चों भी हाईटेक हो चले हैं। उनके हाथ में भी एंड्रायड फोन से लेकर तमाम
बरेली: तकनीक के इस जमाने में बच्चों भी हाईटेक हो चले हैं। उनके हाथ में भी एंड्रायड फोन से लेकर तमाम महंगे इलेक्ट्रानिक गैजेट रहते हैं। एंड्रायड फोन के प्रसार से टेक्नोलॉजी और साइबर संसार कुछ ज्यादा ही समृद्धि हुआ। इसी के साथ हमारी संवेदनशीलता की आवश्यकता भी बढ़ गई है। टेक्नोलॉजी और साइबर संवेदनशीलता से ही टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं।
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टेक्नोलॉजी वरदान भी है अभिशाप भी
इसमें कोई दो राय नहीं कि टेक्नोलॉजी ने हमारी जिंदगी आसान की है। जिस काम में कई घंटे लगते हैं मशीन के जरिए वह काम मिनटों में हो जाता है। मगर कभी-कभी संवेदनशीलता के अभाव में यही टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग हो उठता है। अधिकांश काम मशीनों से करने से हम शारीरिक रूप से मेहनत नहीं करते। जिससे शरीर की चुस्ती-फुर्ती और फिटनेस गायब हो जाती है।
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बच्चे को नेट यूज करने दें मगर निगरानी में
इंटरनेट के बच्चे दीवाने हैं। कम उम्र में ही इसके प्रयोग करते हैं। बेशक इंटरनेट पर ज्ञान का भंडार है। कान्वेंट स्कूलों में शुरुआती क्लास से ही बच्चों को कंप्यूटर की ट्रेनिंग दी जाती रही है। ऐसे में इंटरनेट प्रयोग करना उनकी जरूरत है मगर इंटरनेट पर अश्लीलता का संसार भी उपलब्ध है। आपकी निगरानी के अभाव में अगर बच्चे यहां पर गोता लगाने लगे तो उनके संस्कारों पर बुरा असर पड़ सकता है। लिहाजा अभिभावकों को चाहिए की वे बच्चों के इंटरनेट प्रयोग करने के दौरान निगरानी जरूर करें। बच्चा नेट पर क्या सर्च कर रहा है क्या नहीं।
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साइबर क्राइम से बच्चों को सचेत करें
टेक्नोलॉजी और साइबर संसार के विकास के साथ ही साइबर अपराधों की भी बाढ़ आ गई है। कभी झांसा देकर किसी के एटीएम से पैसे उड़ा दिए जाते हैं तो कभी क्रेडिट कार्ड का कोड मालुम होकर आनलाइन शापिंग हो जाती है। जब लोगों को पता लगता है तो वे खुद को ठगा पाते हैं। यही नहीं कई बार मेल से लोगों को धमकी देने के भी मामले भी सामने आते हैं। ऐसे में बच्चो को साइबर क्राइम के बारे में सचेत करें। वे कभी इस तरह की हरकत न करें। नहीं तो कानूनी शिकंजे में फंसते देरी नहीं लगेगी।
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दायरे में करें अभिव्यक्ति की आजादी
सोशल साइट्स के जरिए आप मनमाफिक बात बयां करने को स्वतंत्र हैं। मगर आइटी एक्ट के तहत आप पर कुछ नियम-कायदे भी लागू होते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को सोशल साइट्स पर अभिव्यक्ति करने के नियम-कायदे जरूर बताएं। मसलन कि फेसबुक आदि सोशल साइट्स पर किसी की धार्मिक भावना या जाति सूचक व अपमानजनक टिप्पणी करने पर कार्रवाई के प्रावधान है।
अर्चना सिंह, प्रिंसिपल, जीडी मेमोरियल स्कूल
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अभिभावक की बात
बच्चों को टेक्नोलॉजी और साइबर की संवेदनशीलता के बारे में जरूर बताएं। उनके इंटरनेट प्रयोग की निगरानी जरूर करते रहें। ताकि पता लगे कि बच्चा नेट का कहीं दुरुपयोग तो नहीं कर रहा है। अगर ऐसी शिकायत मिले तो बच्चे को प्यार से समझाते हुए इससे नुकसान बताएं। इसके साथ ही बच्चों को साइबर संसार में होने वाली धोखाधड़ी और अपराध घटनाओं से भी सचेत करें।
शकील अहमद, अभिभावक