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एनईआर इंजीनियरों ने बर्बाद किए करोड़ों रुपये

फोटो-फाइल फोटो लापरवाही -कछला रेल पुल के गर्डर गलत हो गए फिट -आरडीएसओ टीम की जांच में खुलासा

By Edited By: Published: Wed, 24 Jun 2015 12:59 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2015 12:59 AM (IST)
एनईआर इंजीनियरों ने बर्बाद किए करोड़ों रुपये

फोटो-फाइल फोटो

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लापरवाही

-कछला रेल पुल के गर्डर गलत हो गए फिट

-आरडीएसओ टीम की जांच में खुलासा

-फिर दुरुस्त किए जाएंगे गर्डर के बाय¨रग

-बरेली-कासगंज ब्राडगेज को झटका, अटका संचालन

एक्सक्लूसिव

जागरण संवाददाता, बरेली : पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) के इंजीनियरों की लापरवाही लाखों यात्रियों को भारी पड़ रही है। रेलवे इंजीनियरों ने बदायूं से गुजरने वाली गंगा नदी के कछला रेल पुल के गर्डर गलत फिट कर दिए। उनकी बाय¨रग गलत हैं। सीआरएस (रेल संरक्षा आयुक्त) पीके वाजपेयी ने निरीक्षण के बाद रेल डिजायन स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) को सौंपी थी। आरडीएसओ के ज्वाइंट डायरेक्टर एसके चतुर्वेदी, डिप्टी डायरेक्टर पीके मिश्र, एनईआर के चीफ इंजीनियर ब्रिज एसके सिंह, एक्सईएन ब्रिज एएन सिंह ने रविवार-सोमवार को कछला रेल पुल के सभी 10 गर्डर की जांच की। इसमें गर्डर संख्या सात और 10 के बाय¨रग गलत फिट होने की बात सामने आई है। आरडीएसओ टीम ने सीआरएस को रिपोर्ट सौंपी, तो सीआरएस ने पैसेंजर ट्रेन चलाने में असमर्थता जताई है। इस रूट पर मालगाड़ी का संचालन नौ अप्रैल से शुरू हो चुका है। सीआरएस ने एनईआर इंजीनिय¨रग टीम को गर्डर के बाय¨रग दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। टीम जुट गई है, लेकिन इसमें 15 से 20 दिन का समय लग सकता है। इसके चलते बरेली-कासगंज ब्राडगेज पर ट्रेन का यात्रियों को और इंतजार करना पड़ेगा।

-कछला ने रोका दक्षिण भारत का सफर

यूपीए सरकार ने वर्ष 2005-06 में एनईआर के बरेली-कासगंज, लालकुआं-बरेली, मथुरा-कासगंज, फर्रुखाबाद-कासगंज और भोजीपुरा-टनकपुर ब्राडगेज को मंजूरी दी थी। इसमें भोजीपुरा-टनकपुर और बरेली-कासगंज को छोड़ सभी पूरे हो गए, लेकिन बरेली-कासगंज ब्राडगेज का काम सात साल पहले पहाड़ से दक्षिण भारत के सफर को शुरू करने के लिए किया गया। कछला नदी पर लगभग 750 मीटर लंबे पुल बनाने को दस पिलर बनाने शुरू किए, तो ये धंस गए। इससे लगभग दो साल बर्बाद हो गए। काफी प्रयास के बाद पिलर बन सके। मगर इसके बाद रेलवे की आरकोल्लन वर्कशॉप ने 150 करोड़ की लागत से तैयार तीन गर्डर गलत बना दिए। इन्हें दोबारा वर्कशॉप लौटाना पड़ा। इसके बाद दिल्ली की कंपनी से गर्डर तैयार कराए गए। कंपनी गर्डर तैयार कर रख रही थी। इसी दौरान एक गर्डर नदी में गिर गया। इससे चार मजदूरों की मौत के साथ ही 17 घायल हो गए। अब एक बार फिर गर्डर में पेंच फंस गया है।

-अधूरी तैयारी में बंद कर दिया संचालन

बरेली-कासगंज रूट की ट्रेनों में हर दिन लाखों यात्री सफर करते थे, लेकिन एनईआर ने अधूरी तैयारियों के साथ छोटी लाइन की ट्रेनों का संचालन एक जनवरी-2014 से बंद कर दिया। उस वक्त अफसरों ने सिर्फ तीन महीने में ट्रेन चलाने का भरोसा दिलाया था, लेकिन डेढ़ साल बाद भी ट्रेन नहीं चल सकीं। कछला रेल पुल के साथ ही बजट खत्म होने से काम अटक गया, तो वहीं एनआर-एनईआर की कनेक्टिविटी से भी काफी समय काम बंद रहा।

वर्जन------

बरेली-कासगंज ब्राडगेज पर जल्द ट्रेन चल जाएंगी। कछला रेल पुल में कुछ कमी है। इंजीनियर दूर करने में जुट गए हैं। कासगंज की हाइटेंशन लाइन का पेंच भी जल्द दूर हो जाएगा।

-आलोक कुमार, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, गोरखपुर


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