आतिशबाजी छूटी तो नहीं पढ़ाया निकाह
बहेड़ी: पंडाल मेहमानों से भरा था। खुशियों के तराने गाए जा रहे थे। हर तरफ आतिशबाजी का शोर था। लजीज खान
बहेड़ी: पंडाल मेहमानों से भरा था। खुशियों के तराने गाए जा रहे थे। हर तरफ आतिशबाजी का शोर था। लजीज खाने की खुशबू महफिल को यादगार बना रही थी। दूल्हा के सिर सेहरा सजा हुआ था और दुल्हन लाल जोड़े में कुबूल कहने को बेताब थी लेकिन काजी तैयार नहीं था। उसने साफ कह दिया कि शादी में जिन चीजों को शरीयत ने हराम करार दिया है, उन्हें होते देख निकाह नहीं पढ़ाऊंगा। रंग में भंग ते लिए इतना काफी था।
आखिरकार इमाम की जिद के आगे बरात को झुकना पड़ा। मौका था-गिरधरपुर में इम्तियाज के घर बेटी की शादी का। गाव के ही मुहम्मद खालिद का बेटा मुहम्मद शाहिद बरात लेकर आया था। बरात में बरातियों ने जमकर आतिशबाजी छुड़वाई। जब खाना खाने के बाद निकाह का नंबर आया तो इमाम ने आतिशबाजी छोड़े जाने को गैर शरई काम बताते हुए इमाम ने निकाह पढ़ाने से इन्कार कर दिया। इससे बरात में खलबली मच गई। दूल्हे के घर वाले रात भर मिन्नतें करते रहे। निकाह पढ़ाने वाले दूसरे उलमा से भी गुजारिश की लेकिन बात नहीं बनी। किसी भी इमाम ने निकाह पढ़ाने के लिए हामी नहीं भरी। इसके बाद बारातियों के पसीने छूट गए। वे रातभर परेशान होने के बाद आखिरकार कमेटी के लोगों के पास गए। माफी मागने के बाद कमेटी ने उन्हें ताकीद की कि भविष्य में इस तरह का गैर शरअई काम नहीं करेंगे। तब जाकर निकाह पढ़ाने के लिए इमाम ने हामी भरी।
इतना लगा जुर्माना
कमेटी ने शरई कानून के उल्लंघन पर 5150 रुपये का जुर्माना डाला, जो दूल्हे वालों को अदा करना पड़ा। इसके बाद ही उन्हें माफी देते हुए इमाम को निकाह पढ़ाने की इजाजत दी गई। तब बारातियों की जान में जान आई। जामा मस्जिद के इमाम वफाउर्रहान ने निकाह पढ़ाया।
इन लोगों की है कमेटी
उत्तर प्रदेश कुरैशी समाज के सदर हाजी बिस्वाल, इस्लामी इस्लाही कमेटी गिरधरपुर के डा. मुहम्मद शुऐब, हाजी आफताब अहमद, इरशाद हुसैन, अतीकउर्रहमान, मुहम्मद अजहर, जामा मस्जिद के इमाम हाजी आफताब, मुहम्मद युसुफ, अहले हदीस मोती मस्जिद के इमाम वफाउर्रहमान शरीयत कमेटी में शामिल हैं।
इन कामों पर लगा रखी है पाबंदी
गिरधरपुर की इस्लामी इस्लाही कमेटी ने बैंड बाजा, आतिशबाजी, डीजे बजाने, डास पार्टी, फायरिंग, वीडियो, फोटोग्राफी, ज्यादा बारातियों को बरात में ले जाने जैसे कामों पर रोक लगा रखी है। वालों के यहां निकाह पढ़ाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। बरात में कम लोग जाएंगे और फिजूलखर्ची भी नहीं कराई जाएगी। ऐसा होने पर इमाम निकाह नहीं पढ़ाएंगे।
वर्जन
कमेटी गैर शरअई और गैर सामाजिक कार्यो को रोकने और समाज के अंदर फैली बुराइयों को दूर करने के लिए गठित की गई है। उसी के तहत इमाम ने निकाह पढ़ाने से इंकार किया, ताकि लोग सही रास्ते पर आ सकें।
मुहम्मद शुऐब, सदस्य इस्लामी इस्लाही कमेटी, गिेरधरपुर