मानकों के फेर में फंसी 'पीएचडी'ं
जागरण संवाददाता, बरेली : पीएचडी कर चुके अभ्यर्थियों के लिए अब यूजीसी के मानक मुसीबत बन रहे हैं। उनको
जागरण संवाददाता, बरेली : पीएचडी कर चुके अभ्यर्थियों के लिए अब यूजीसी के मानक मुसीबत बन रहे हैं। उनको नेट से छूट के लिए मिलने वाले नेट एक्जेंप्शन सर्टीफिकेट में पेंच फंस गया है।
दरअसल नए पीएचडी अध्यादेश में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नेट से छूट के लिए ग्यारह बिंदु तय कर दिए। इनमें से छह को पूरा करना जरूरी है। जो अभ्यर्थी संबधित मानक पूरे नहीं करेंगे उन्हें यह सर्टीफिकेट जारी नहीं किया जा सकता। 2009 से पहले पीएचडी करने वाले अधिकतर अभ्यर्थी यह मानक पूरे नहीं करते। दर्जनों अभ्यर्थियों ने सर्टीफिकेट के लिए विवि में आवेदन भी किया लेकिन किसी न किसी बिंदु पर उनके सर्टीफिकेट अटक गए। अब उनके सामने नेट पास करने का ही विकल्प बचा है।
नए शोध छात्रों की बढ़ी टेंशन
विश्वविद्यालय में इस साल ही पीएचडी शुरू हुई। पंजीकरण की सूची में महज कुछ अभ्यर्थी ही नेट या जेआरएफ होंगे। अब उनको यूजीसी के ग्यारह बिंदुओं की टेंशन सताने लगी जिसमें से उनको भी छह बिंदु पूरे करने हैं। हालांकि नए नियमों को लेकर विवि के शिक्षक भी अभ्यर्थियों को अवगत करा रहे हैं ताकि पीएचडी के बाद उनके सामने मुसीबत न खड़ी हो।
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यह हैं ग्यारह बिंदू
-प्रवेश परीक्षा या साक्षात्कार या दोनों के माध्यम से पीएचडी में प्रवेश मिला हो।
-राष्ट्रीय आरक्षण नीति के नियम पूरे किए हों।
-एक सुपरवाइजर के अंडर एमफिल में पांच और पीएचडी में आठ कंडीडेट न रहे हों।
-कोर्स वर्क हुआ हो और रिसर्च मैथडोलॉजी थ्योरी का पालन किया हो।
-रिसर्च एडवाइजरी कमेटी से रिव्यू ऑफ प्रोग्रेस होना चाहिए।
-मैथडोलॉजी एग्जाम हुआ हो।
-सिनोप्सिस जमा करने से पहले प्री-पीएचडी प्रीजेंटेशन होना चाहिए।
-पीएचडी जमा करने से पहले कम से कम एक पेपर पब्लिश होना जरूरी।
-दो पेपर कांफ्रेंस और सेमिनार में प्रस्तुत होने चाहिए।
-दो विशेषज्ञों के द्वारा थीसिस मूल्यांकन होना चाहिए। इनमें एक प्रदेश के बाहर का होना जरूरी है।
-एक सॉफ्ट कॉपी विश्वविद्यालय में जमा होनी चाहिए।