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इस्लामी कानून की किताबें अब ¨हदी में

जागरण संवाददाता, बरेली : अगर आपको इस्लामी कानून की जानकारी लेनी है और उर्दू पढ़नी नहीं आती है तो चिं

By Edited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 07:19 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 07:19 PM (IST)
इस्लामी कानून की किताबें अब ¨हदी में

जागरण संवाददाता, बरेली : अगर आपको इस्लामी कानून की जानकारी लेनी है और उर्दू पढ़नी नहीं आती है तो चिंता न करें। अब आपको यह जानकारी ¨हदी में मिलेगी। आला हजरत के उर्स में ऐसी किताबें लाई गई हैं, जिनकी काफी डिमांड है।

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150 साल पहले मुफ्ती अमजद अली ने बहारे शरियत पुस्तक उर्दू में लिखी थी। लंबे समय तक यह किताब उर्दू में प्रकाशित होती रही। अब ¨हदी प्रेमियों ने इसकी डिमांड की तो इस बार आला हजरत के उर्स में इसका ¨हदी वर्जन लाया गया है। पुस्तक का नाम इस्लामी कानून दिया गया है। इसके लेखक अमीनुल कादरी हैं। इसकी कीमत 650 रुपये है। इसके अलावा फतावा-ए-रजविया, सीरतुल मुस्तफा, अकवाले औलिया, कर्बला का बयान, उर्दू-अरबी शब्दकोष की काफी मांग है। दिल्ली से आए प्रोपराइटर शिमाइल हुसैन व काशिफ हुसैन कहते हैं कि पिछले साल लोगों ने ¨हदी किताबों के वर्जन मांगे थे, उनकी जिज्ञासा इस बार शांत करने की कोशिश की गई है। ¨हदी में लिखी किताबें बहुत बिक रही हैं।

इन किताबों की भी है मांग

इंसान को किस तरह जिंदगी जीनी चाहिए यह सीखना है, तो सुन्नी वहशते जेवर अशरफी समेत कई किताबें उर्स में आई हैं। इसके अलावा सुन्नी बहिश्ती जेवर, जिन्सी ताल्लुकात, जवाहिरुल हदीस, करामाते गौसे आजम, कयामत कब आएगी, नमाजे कामिल, उर्स में किताबों की 70 से अधिक दुकानें हैं। इस बार कागज महंगा होने के कारण दुकानदारों को कारोबार कम होने की उम्मीद थी, लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा है।


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