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अब विषय वर्गीकरण का फंसा पेंच

जागरण संवाददाता, बरेली : पांच विषयों के लिए जारी की गई पीएचडी की वरीयता सूची में आरक्षण का मामला अभी

By Edited By: Published: Sat, 01 Nov 2014 01:47 AM (IST)Updated: Sat, 01 Nov 2014 01:47 AM (IST)
अब विषय वर्गीकरण का फंसा पेंच

जागरण संवाददाता, बरेली : पांच विषयों के लिए जारी की गई पीएचडी की वरीयता सूची में आरक्षण का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ था कि विषयों को लेकर बरती गई अनियमितताएं सामने आ गई। विश्व विद्यालय ने अलग-अलग विषयों को एक ही विषय में शामिल करते हुए सूची जारी की। इससे दर्जनों अभ्यार्थियों को सूची से बाहर होना पड़ेगा, क्योंकि नियमानुसर परास्नातक के विषय से ही पीएचडी की जा सकती है लेकिन जारी मेरिट सूची में इसको नजरअंदाज किया गया।

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29 अक्टूबर को विश्वविद्यालय ने पांच विषयों की पीएचडी मेरिट सूची जारी की थी जिसमें विषयवार नियम का पालन नहीं किया गया। नियमानुसार परास्नातक के विषय से ही पीएचडी की जा सकती है, हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में आरडीसी की अनुमति के बाद उनको प्रवेश का मौका दिया जा सकता है। वनस्पति विज्ञान में 35 आवेदन आए थे इसमें मेरिट के आधार पर 17 अभ्यर्थियों का चयन होना था। शुक्रवार को जब आरक्षण के नियमों को लागू करने के लिए सूची में संशोधन का कार्य शुरू हुआ तो एक बार फिर बड़ी खामी सामने आई। विज्ञान के अन्य कुछ विषयों को भी इस सूची में शामिल कर दिया गया। संशोधन के बाद सूची में महज 11 अभ्यर्थियों को ही सही पाया गया। विश्व विद्यालय से अभी चार विषयों की वरीयता सूची जारी होना बांकी है। जिसमें विषयों को लेकर बड़ी खामी सामने आ सकती है। नई सूची में कई अभ्यर्थियों को पीएचडी वरीयता सूची से बाहर का रास्ता देखना पड़ सकता है, क्योंकि आरक्षण में संशोधन के बाद लड़कियों को बीस प्रतिशत, फिजीकल हैंडीकैप्ड को तीन प्रतिशत और पांच प्रतिशत आरक्षण का लाभ स्वंतत्रता सैनानी और सेना को हर वर्ग मिलेगा और विषयवार छटनी भी होगी। इसका प्रभाव सूची पर अवश्य पड़ेगा। पीएचडी प्रभारी प्रोफेसर वीपी सिंह ने बताया कि सूची में विषयों के वर्गीकरण पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया जो नियमानुसार गलत है। इसको संशोधित कराया जा रहा है।


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