संत सम्मान पर मिलती है प्रभु की कृपा
बरेली: प्रभु की कृपा हमें संतों के जरिए ही मिल सकती है, जिसका अवसर जीवात्मा को सत्संग में जाने से मिलता है, इसलिए जब भी अवसर मिले, संतों की संगति करनी चाहिए। यह उद्गार श्री त्रिवटीनाथ मंदिर में चल रही श्रीराम कथा में कथा व्यास पंडित उमाशंकर व्यास ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम लोग प्रभु की आराधना करते हैं, तो पहले प्रभु हमें मिल जाए। कई बार प्रभु का स्मरण करने वाले और संतों का सम्मान करने वाले लोगों को प्रभु की कृपा पहले प्राप्त हो जाती है। यह उन्होंने भक्तों को सीता माता की सखी के प्रसंग से समझाई। उन्होंने बताया कि माता सीता जब पूजन करने पुष्प वाटिका पहुंची, तो उनके साथ उनकी सखियां भी थी, लेकिन एक सखी पूजन में शामिल होने की जगह वाटिका घूमने निकल गई और उसी को सबसे पहले प्रभु श्रीराम के दर्शन हुए। कथा दौरान उन्होंने भजनों से प्रभु का गुणगान कर भक्तों को भावविभोर किया। इसमें प्रताप चंद सेठ, संजीव औतार अग्रवाल, प्रभा जौहरी, राजेश जौली, राकेश बास, नंद किशोर शर्मा, शांतनु रोगतगी आदि मौजूद रहे।