ई-बुक्स ने बदली किताबों की दुनिया
जागरण संवाददाता, बरेली : ज्ञान का खजाना कहे जाने वाली लाइब्रेरी की दुनिया आज कुछ जुदा अंदाज में हमारे सामने है। वक्त के साथ जो स्वरूप बदला वो है- ई-बुक्स की दुनिया। संजय बारू की द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर हो या फिर चेतन भगत की रिवोल्यूशन-2020, सुई मोंक किड की द इन्वेंशन ऑफ विंग की बात करें या फिर रेंसम रिग्स की हेल्लो सिटी की, ई-बुक्स की दुनिया में इन किताबों ने धूम मचाई। बुक्स स्टॉल पर पहुंचने से पहले ही इंटरनेट के जरिए यह किताबें पाठकों के बीच पहुंच गईं।
कुल मिलाकर कहा जाए तो लाइब्रेरी की दुनिया से बाहर निकलकर पाठक ई-बुक्स की दुनिया की लाइब्रेरी पंसद कर रहे हैं। सूई मोंक किड की द इन्वेंशन ऑफ विंग की बात करें तो कुछ महीने में ही एक लाख से अधिक लोगों ने इस किताब को इंटरनेट पर पढ़ा है। रेंसम रिग्स की हेल्लो सिटी को भी जमकर सराहना मिली। संजय बारू की द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर भारत के साथ पूरी दुनिया में पढ़ी गई।
शक्तिमान से लेकर छोटा भीम तक
लेखक भी जानते हैं कि पाठक किस प्रकार की किताबें पढ़ना चाहते हैं। भाषा शैली की बात हो या फिर फोटो चयन की। हर लेखक ने अपना राइटिंग स्टाइल समय के साथ बदला है। परंपरागत ढर्रे से निकलकर समय की मांग के अनुरूप लेखक किताबों को बुन रहे हैं, चेतन भगत की व्हाट यंग इंडिया वांट्स इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। किताबों को सजीव करने के लिए फोटो का प्रयोग बढ़ा है। कभी टीवी पर धूम मचाने शक्तिमान धारावाहिक हो या फिर बच्चों का हीरो छोटा भीम, सबकी कॉमिक्स बाजार में उपलब्ध हैं।
हां बदल गई किताबें..
साहित्यकार इंद्र देव त्रिवेदी का मानना है कि समय के साथ किताबें बदल गई हैं। वैसे शब्द आज की किताबों में देखने को नहीं मिलते तो मुंशी प्रेमचंद्र या हजारी प्रसाद द्विवेदी की किताबें में मिलते हैं। आज कल की भाषा खिचड़ी है। लेखक भी समझते हैं पाठक क्या पढ़ना चाहता है? फिर भी लेखकों को अश्लील लेखन से बचना होगा। लेखक वहीं जो अपनी भाषा से किताब में जान फूंके।