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छाप तिलक सब छीनी तोसे नैना मिलाय के

बाराबंकी: राष्ट्रीय कथक संस्थान लखनऊ की छात्राओं ने सोमवार की शाम प्रेक्षागृह में अपनी नृत्य संरचना

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 09:13 AM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 09:13 AM (IST)
छाप तिलक सब छीनी तोसे नैना मिलाय के

बाराबंकी: राष्ट्रीय कथक संस्थान लखनऊ की छात्राओं ने सोमवार की शाम प्रेक्षागृह में अपनी नृत्य संरचना एवं मोहक भावों से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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कार्यक्रम का शुभारंभ पं. ¨बदादीन महाराज के साहित्य पर आधारित नृत्य नाटिका 'कथक का पारंपरिक रंग' प्रस्तुत की गई। इसके उपरांत संस्थान के कलाकारों ने अमीर खुसरो के कलाम 'मोहे अपने ही रंग में रंग दे निजाम' पर कथक को इबादत के रंग से सराबोर कर दिया। राग देस मिश्रा और दादरा ताल में निबद्ध 'आमना को दामन में' एवं 'छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाय के' में भ्रमरी के नवीन प्रयोग को दर्शाया। नुसरत फतेह अली खान के 'अल्लाह हू' एवं बुल्लेशाह के कलाम 'दमादम मस्त कलंदर' पर संस्थान के कलाकारों ने उत्कृष्ट प्रस्तुति दी। इस दौरान कथक में पारंपरिक टुकड़े, तिहाई, कवित्त एवं बंदिशों का बेहतर समन्वय देखने को मिला।

आकांक्षा श्रीवास्तव एवं अर्चना तिवारी के निर्देशन में आकृति, काव्या, स्मृति, देवांशी, अंकिता, शैली, खुशी, अंशिका, र्दिशता, शीजा, अलीशा, सुमति ने भाग लिया। प्रस्तुति एवं अवधारणा सरिता श्रीवास्तव की थी।


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