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प्लांट स्थापित फिर भी लग गई लाखों की बिजली

बाराबंकी : चक गंजरिया में गोबर गैस तैयार हो चुका है। इसके बाद भी लाखों की बिजली खर्च हो चुकी है। सरक

By Edited By: Published: Sat, 21 Jan 2017 12:37 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jan 2017 12:37 AM (IST)
प्लांट स्थापित फिर भी लग गई लाखों की बिजली
प्लांट स्थापित फिर भी लग गई लाखों की बिजली

बाराबंकी : चक गंजरिया में गोबर गैस तैयार हो चुका है। इसके बाद भी लाखों की बिजली खर्च हो चुकी है। सरकार को चपत तो लग ही रहा बल्कि गोबर गैस प्लांट का सपना भी साकार नहीं हो पा रहा है। फार्म के अधिकारी बता रहे है कि प्लांट अभी ट्रायल पर है लेकिन निर्माण एजेंसी का दावा है कि कार्य पूरा हो चुका है। जो भी हो लेकिन यहां 17 लाख रुपये बिजली विभाग का बाकी हो चुका है।

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फार्म में प्रति माह ढाई लाख से लेकर तीन लाख रुपये तक बिजली का खर्च हो रही है। बीते कई महीनों से बिजली का बिल न जमा होने से अब तक फार्म पर करीब 17 लाख रुपये से अधिक का बिजली बिल बाकी है। फार्म पर लगभग 65 लाख से गोबर गैस प्लांट तैयार हुआ था। अब प्लांट का ट्रायल होने का दावा किया जा रहा है। चक गंजरिया फार्म का प्रथम फेज का निर्माण अप्रैल 2015 को पूरा कर लिया गया था। अब हालात यह है कि हफ्तों बिजली काट दी जा रही है। जिससे फार्म पर पशुओं के पानी पीने के भी लाले पड़ जाते हैं।

इनसेट : मजदूरों का भी बिल हजारों रुपये

चक गंजरिया फार्म में 80 आवास बनाए गए हैं। इन आवासों को कर्मचारी, अधिकारी और मजदूरों को आवंटित कर दिया गया है। यहां मजदूरों को करीब प्रति माह पांच हजार रुपये ही मानदेय मिलता है। इसमें से मजदूरों को प्रति माह कामर्शियल बिजली होने के कारण करीब चार हजार रुपये बिल देना होता है।

इनसेट : ..तो क्या इस व्यवस्था में रहेंगी विदेशी गायें

चक गंजरिया में मुख्यमंत्री ने स्वीट्जरलैंड से एचएफ प्रजाति की गायों को लाया जाना है। इसके लिए फार्म पर करीब 27 करोड़ की लागत से वातानुकूलित शेड बनाए जा रहे हैं। बिजली बिल बकाया होने से सप्ताह-सप्ताह भर बिजली काट दी जाती है। बिजली इसी तरह से कटती रही तो एचएफ प्रजाति की गायें कैसे रहेंगी? इन गायों को गर्मी का मौसम रास नहीं आता है। यदि गर्मी में कुछ दिन रह ले तो गायें बीमार हो जाती है और मृत्यु की आशंका भी बढ़ जाती है।

इनसेट : बर्बाद हो गया हजारों ¨क्वटल गोबर

फार्म पर प्रति दिन दस ¨क्वटल से अधिक गोबर निकलता है। बीते ढाई वर्षों में हजारों ¨क्वटल गोबर गैस बर्बाद हो चुका है। यदि यह गोबर खाद या अन्य कार्यों में लगता तो किसानों का भला हो जाता लेकिन यह गोबर फेंक दिया जा रहा है। कुछ ¨क्वटल निबलेट फार्म मेढि़या में दिया गया है।

गोबर गैस प्लांट बन कर तैयार हो चुका है। अभी लाइन बिछाई जा रही है। प्लांट का ट्रायल भी चल रहा है। जल्दी ही बिजली बनना शुरू हो जाएगी। ''

मदन पाल ¨सह, अधीक्षक, चक गंजरिया फार्म, जहांगीराबाद, बाराबंकी।

गोबर गैस चलने लगा है, गोबर डाला जाए तो बिजली बने। हालांकि अभी तक ट्रायल पर चल रहा था। ''

बीएम पाठक, सहायक अभियंता, राजकीय निर्माण एजेंसी, बाराबंकी।


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