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हाईवे में गई जमीन का नहीं मिला मुआवजा

बाराबंकी : नेपाल देश को जोड़ने वाले हाईवे में गई किसानों की जमीन का पैसा किसानों को नहीं मिल पा रहा ह

By Edited By: Published: Sat, 21 Jan 2017 12:35 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jan 2017 12:35 AM (IST)
हाईवे में गई जमीन का नहीं मिला मुआवजा
हाईवे में गई जमीन का नहीं मिला मुआवजा

बाराबंकी : नेपाल देश को जोड़ने वाले हाईवे में गई किसानों की जमीन का पैसा किसानों को नहीं मिल पा रहा है। कारण विरोध के स्वरों से निर्माणों कार्यों की गति मंद हो चुकी है। राजमार्ग में गई डेढ़ सौ किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा नहीं मिल पाया है।

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बाराबंकी से नेपाल देश को जोड़ने वाले राजमार्ग में 45 किलो मीटर हिस्सा बाराबंकी में आता है। चौराहों पर फोर लेन और अन्य जगहों पर टू लेन का निर्माण चल रहा है। इस हाईवे पर ¨बदौरा के पास बने रहे पुल और हाईवे में किन्हौली गांव के लोगों की जमीन गई थी। यहां पीएनसी कंपनी के बीच किसानों को समझौता हो गया और कार्य तेजी से चलने लगा। इसके अलावा मसौली के कल्याण नदी पर, शाहरपुर, सुल्तानपुर गांव के डेढ़ सौ किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई थी। जिसमें लगभग 80 प्रतिशत किसानों को मुआवजा मिल गया। अभी पल्हरी गांव के किसानों की सूची नहीं बनाई गई है। इन गांवों की जमीन भी हाईवे में चली गई गई है।

इनसेट : बाईपास में चली गई 400 किसानों की जमीन

बाराबंकी : रामनगर से बाईपास बनाया गया है। बाईपास में रेलवे मार्ग नहीं पड़ेगा। इस बाईपास में 400 किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई थी। जिसमें करीब 300 किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा तो मिल गया है लेकिन लगभग 100 किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा नहीं मिल पाया है। बाईपास में रामनगर, नचना, लोहटी जेई, लोहटी पसाई, मड़ना, ब्रह्मनी गांव के लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। निर्माण एजेंसी के अधिकारी बताते है कि मुआवजा न मिलने से निर्माण कार्य तेजी नहीं पकड़ रहा है, जिससे लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है।

इनसेट : मालियत के चार गुना मिलना था मुआवजा

बाराबंकी-बहराइच राजमार्ग पर शाहपुर के पहले सुल्तानपुर गांव पड़ता है। यहां प्रति हेक्टेअर एक करोड़ 40 लाख रुपये किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है। इसके अलावा रामनगर क्षेत्र में खेत के मालियत का चार गुना मुआवजा दिया जाएगा। कुछ किसानों को मालियत का चार गुना पैसा दिया भी जा चुका है। अभी पल्हरी में एक ओवर ब्रिज का निर्माण होना है, जिसमें कई किसानों की भूमि अधिग्रहीत की जाएगी। हालांकि अभी यह प्रक्रिया में है, यहां के लोगों को भी उनके खेत की मालियत का चार गुना पैसा दिया जाएगा।

जिन किसानों के घरों में आपसी समझौता नहीं हुआ है, उन्हीं लोगों को मुआवजा नहीं मिल पाया है। 85 प्रतिशत किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा दिया जा चुका है। जब इन लोगों का आपसी विवाद समाप्त हो जाएगा, तब इन्हें मुआवजा दिला दिया जाएगा। ''

पंकज कुमार अरोड़ा, विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी, बाराबंकी।


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