नहीं किया इलाज बढ़ता गया मर्ज
बाराबंकी : प्लास्टिक से पर्यावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को देखते हुए भले ही प्रदेश सरकार ने पॉलीथिन प्
बाराबंकी : प्लास्टिक से पर्यावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को देखते हुए भले ही प्रदेश सरकार ने पॉलीथिन प्रतिबंध लागू किया था। मगर पॉलीथिन रोकथाम के जो उपाय करने थे वह हकीकत में नहीं बदल पाए। नतीजा यह हुआ कि प्रतिबंधित पॉलीथिन धड़ल्ले से हर जगह प्रयोग की जा रही है।
पॉलीथिन प्रतिबंध को लेकर प्रदेश सरकार को 40 माइक्रोन से कम मोटाई के पॉलीथिन विक्रेता व भंडारकर्ता पर दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए मगर शायद ही शासन प्रशासन की ओर से यह कार्रवाई की शायद ही कभी की गई हो। नगरीय कचरे में प्लास्टिक संग्रहण व अलग निस्तारण भी नहीं किया गया। कचरे में शामिल प्लास्टिक को संग्रहित कर उद्योगों को पहुंचाना व प्लास्टिक को खुले में जलाने की रोकथाम करना भी शामिल था।
नहीं चलाया गया जागरूकता अभियान : प्लास्टिक का उपयोग रोकने के लिए जो जागरूकता अभियान चलाना था। वह भी नहीं चलाया गया। नतीजा यह रहा कि रोक की बजाए पॉलीथिन का उपयोग बढ़ता गया। शिक्षा, सूचना, संप्रेषण एवं जागरूकता, पॉलिथीन कैरीबेग का उपयोग रोकने क लिए रेडियो, स्कूलों में वाद-विवाद, भाषण, परिचर्चा व निबंध प्रतियोगिता, सार्वजनिक स्थानों पर होर्डिंग, बैनर आदि भी नहीं लगाए गए।
न्यायालय ने भी लगाई थी रोक : वर्ष 2012 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को पूरे राज्य में पॉलिथीन पर रोक लगाने का निर्देश दिया था। मगर सरकार ने सिर्फ कागज प्रतिबंध लगाया और जमीनीस्तर पर
पॉलीथिन के प्रयोग को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किए।