दिव्यांग बच्चों के लिए मसीहा बनी अर्चना
बाराबंकी : दो वर्ष पूर्व पति कपिल श्रीवास्तव की मौत व 16 वर्षीय दिव्यांग पुत्र तुषार की परवरिश की जि
बाराबंकी : दो वर्ष पूर्व पति कपिल श्रीवास्तव की मौत व 16 वर्षीय दिव्यांग पुत्र तुषार की परवरिश की जिम्मेदारी के बावजूद अर्चना श्रीवास्तव ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने दिव्यांग पुत्र की बेहतर परवरिश शुरू की तो साथ अन्य दिव्यांग बच्चों का सहारा भी बनी। दो वर्ष पूर्व दिव्यांग बच्चों में आत्मविश्वास भरा जीवन देने की शुरू की गई अर्चना की मुहिम अब रंग लाने लगी है।
वर्ष 2014 में दिव्यांग बच्चों के लिए ट्रे¨नग सेंटर खोला। जिसमे दिव्यांग बच्चों को वे स्वयं प्रशिक्षण प्रदान करतीं हैं। वे कहती है कि उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि नि:शक्त बच्चों को आत्म निर्भर बनाना। साथ ही दिव्यांग बच्चों को आत्मविश्वास भरा जीवन जीने मे उनकी मदद करने के अलावा ऐसे बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है। उम्मीद किरन जन कल्याण समिति के माध्यम से ट्रे¨नग सेंटर में एक दर्जन से अधिक दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 15 बच्चों में शारीरिक, मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चे शामिल है।
दिव्यांग बच्चों में जागरूकता पैदा करना उद्देश्य : बंकी निवासी अर्चना श्रीवास्तव कहती है कि दिव्यांग बच्चों की मदद के लिए अन्य लोगो को भी आगे आना चाहिए। वे कहती है कोई स्वेच्छा से दिव्यांग का चयन नहीं करता है, लेकिन शिक्षा द्वारा उसे यथासंभव सामान्य जीवनयापन के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है। दिव्यांग और सामान्य व्यक्ति की कार्यक्षमता, व्यवहार कुशलता में मूल अंतर यह होता है कि दिव्यांगों को क्रिया संपादन के लिए उपकरणों तथा दूसरों की सहायता की आवश्यकता होती है। वे कहती है कि मेरा प्रयास यही रहेगा कि दिव्यांग बच्चों को जीवन की मूलधारा से जोड़ा जाए।