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समाजवादी बिखराव से टूटी देवा मेले की सुर-लय-ताल

बाराबंकी: रविवार को देवा मेले की सांस्कृतिक संध्या सलीम सुलेमान के गीतों से सजी थी। इस शाम का शुभारं

By Edited By: Published: Tue, 25 Oct 2016 12:32 AM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2016 12:32 AM (IST)
समाजवादी बिखराव से टूटी देवा मेले की सुर-लय-ताल

बाराबंकी: रविवार को देवा मेले की सांस्कृतिक संध्या सलीम सुलेमान के गीतों से सजी थी। इस शाम का शुभारंभ करने के लिए जिले के दो कद्दावर मंत्री भी मौजूद थे। गीतों का कारवां आगे बढ़ा तो मंत्रियों का कारवां वहां से निकल गया। सलीम सुलेमान के गीतों पर दर्शक भले ही झूम रहे थे लेकिन दोनों ही मंत्रियों के सुर-लय-ताल इस कार्यक्रम से मेल नहीं खा रहे थे।

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आम तौर पर देवा मेले की अगली पंक्ति सत्तारूढ़ दल के नेताओं से भरी रहती है। जिलाधिकारी भी इस कार्यक्रम को पूरा समय देते हैं। पिछले कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी में जो उठापटक चल रही है उसका असर यहां भी नजर आ रहा है। पहले से ही तय कार्यक्रम में मंत्री और विधायक पहुंच तो रहे हैं लेकिन ज्यादा देर तक उनके कदम यहां रुक नहीं पा रहे हैं। खुद जिलाधिकारी भी ज्यादा देर तक अपने आपको सहज नहीं रख पाए। मंत्री लौटे तो वे भी लौट गए।

समाजवादी पार्टी में औपचारिक तौर पर तो अभी खेमा अलग नहीं हुआ है लेकिन पार्टी नेता स्पष्ट रूप से दो खेमों में बंटे नजर आ रहे हैं। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं जब प्रदेश अध्यक्ष के रूप में शिवपाल ¨सह यादव यहां आए थे। उस दौरान पूरी पार्टी ने भरपूर एकजुटता रखने की कोशिश की थी। उस दिन जिस तरह नारेबाजी और शक्ति प्रदर्शन दिखा था उसी समय यह स्पष्ट हो गया था कि ज्यादा दिन तक यह एकजुटता बरकरार नहीं रह सकेगी। नारेबाजी में अपने को आगे प्रदर्शित करने की होड़ जो उस दिन दिखाई दी थी वह अब भी परोक्ष रूप से नजर आ रही है। एमएलसी राजेश यादव मुख्यमंत्री के समर्थक खेमे के अगुवा बनकर उभरे हैं। वे मुखर भी हैं लेकिन अन्य कोई भी अभी भी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। माना जा रहा है कि पार्टी के वर्तमान सभी विधायक अखिलेश के ही खेमे में होंगे लेकिन असंतुष्ट रहे सपाई शिवपाल यादव का झंडा थाम सकते हैं। समाजवादी पार्टी के खेमे में ही नहीं बल्कि हर चौराहे पर यही चर्चा हो रही है कि पार्टी टूटने की स्थिति में कौन किसके साथ होगा? देवा मेले में भी जब सलीम सुलेमान छइयां-छइयां कर रहे थे पंडाल के भीतर राजनीतिक बहस मुबहसों का दौर जारी था। पूरे दिन का घटनाक्रम पर चर्चा के साथ भविष्य की अटकलों पर चर्चा गर्म थी। देवा मेला सदस्यों के कैंप भी इससे अछूते नहीं हैं। फुर्सत के दौर में यहां मेले पर नहीं बल्कि अखिलेश सरकार के भविष्य और पतन पर ही चर्चा हो रही है। मेले का समापन 26 अक्टूबर को होना है। तब तक शायद समाजवादी पार्टी में सियासी खेमेबंदी भी खुलकर सामने आ जाए।


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